भाग्य की शक्ति
Bhagya ki shakti
एक राजा के घर में तीन स्तनों वाली कन्या पैदा हुई तो राजा ने उसे मुसीबत समझकर अपने नौकरों से कहा कि इसे जंगल में फेंक आओ|
मंत्री ने राजा से कहा-महाराजा यह तो ठीक है कि तीन स्तनों वाली कन्या भारी होती है| लेकिन इसे फेंकने से पहले पंडितों से तो पूछ लेना चाहिये| क्योंकि प्राचीन काल में एक राक्षस द्वारा पकड़ा हुआ एक पंडित पूछने से ही बच गया|
वह कैसे? राजा ने पूछा|
तो मैं आपको बताता हूं|
एक जंगल में पंडित अकेला जा रहा था| एक राक्षस उसे शिकार समझकर उसके कंधे पर चढ़ गया और कहने लगा कि चलो आगे चलो पंडित ने घबराकर उसके कोमल चरणों को देखकर कहा-अरे वाह! आपके पांव कितने कोमल और सुन्दर है|
हां, मैंने यह प्रण किया है कि मैं गीले पांव धरती पर नहीं रखता|
पंडित अपने बचाव की बात सोचते हुए एक तालाब पर पहुंच गया और बोला तो महाराज मेरे भोजन करने से पूर्व नहा लो|
राक्षस झट से तालाब में नहाने लगा| पंडित को तो पता था कि वह अपने गीले पांव धरती पर नहीं रखेगा| इसलिये यहां से भागने का सबसे बढ़िया मौका देख पंडित वहां से भाग निकला| पंडित पहले ही उस राक्षस से भेद ले चुका था कि गीले पांव धरती पर नहीं रखेगा|
राजा ने ब्राह्मणों से एकमत होकर कहा-महाराज! आप इस कन्या के दर्शन न करें| हां यदि कोई उससे शादी कर ले तो शादी करके उसे अपने देश से निकाल दें|
ब्राह्मण की बात सुन राजा ने सारे शहर में घोषणा करवा दी कि जो कोई इस कन्या से शादी करके देश से बाहर ले जाए| उसे लाखों मोहरें दी जाएंगी|
बहुत सालों तक भी कोई उससे शादी करने के लिए नहीं आया, इस बीच लड़की जवान हो गई| उसी शहर में एक अंधा रहता था| लाठी पकड़कर चलाने के लिए एक कुबड़ा उसका साथी था|
इन दोनों ने मिलकर सोचा कि क्यों न हम ही उस राजा की लड़की से शादी कर लें| इससे इतना धन प्राप्त हो जायेगा कि हमारा सारा जीवन सुखी हो जायेगा| यदि उससे शादी करके हमारी मृत्यु हो गई तो हमें इस दु:खी जीवन से छुटकारा मिल जायेगा|
यही सोचकर वह अन्धा अपने साथी को लेकर राजा के पास पहुंचा और उसने लड़की से शादी करने को कहा|
इस प्रकार उस अंधे से उस कन्या की शादी करके उसे बहुत धन दे राजा ने अपने देश से निकाल दिया|
इस तरह वह अंधा, उसका साथी कुबड़ा उस कन्या को ले किसी दूसरे देश में चले गये|
वहां जाकर उन्होंने अपने लिए बढ़िया मकान खरीदा| अंधा और उसकी स्त्री दोनों घर में पड़े रहते| कुबड़ा बेचारा सारा काम करता|
कुछ ही समय से पश्चात् उस राजकन्या का कुबड़ा से मेल हो गया|
एक दिन कुबड़े से राजकन्या ने कहा कि क्यों न इस अन्धे को जहर देकर मार डालें जिससे हम दोनों मजे करेंगे| यह सुन कुबड़ा कहीं से मरा हुआ काला सांप उठा लाया और राजकन्या से बोला इसे भूनकर अंधे को यह कहकर दे देना कि वह मछली का मांस है| क्योंकि वह अंधी मछली मांस खुश होकर खाता है|
राजकन्या ने सांप का मांस एक बड़ी पतीली में रखा स्वयं घर के काम करने लगी| उसने अंधे से कहा कि आप थोड़ी देर के लिए उस पीले के पास बैठकर उसे हिलाते रहे ताकि वह मांस जल न जाये|
अंधा उस पतीले के पास जाकर चम्मच से उसे हिलाने लगा| जिसकी तेज भाप उस अंधे की आंखों में लगने लगी| अंधे ने महसूस किया कि इस भाप से उसकी आंखें ठीक हो रही है|
वह धीरे-धीरे ठीक हो गया|