Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Bhoot kuch nahi” , “भूत कुछ नहीं” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

भूत कुछ नहीं

Bhoot kuch nahi

 

 

किसी बस्ती में एक बालक रहता था| वह बड़ा निडर था| घूमते-घूमते वह अक्सर बस्ती के बाहर नदी के किनारे चला जाता था और थोड़ी देर वहां रुककर लौट आता था| उसके बाबा उसे बहुत प्यार करते थे| उन्हें लगा कि किसी दिन वह नदी में गिर न जाए! इसलिए एक दिन उन्होंने अपने बेटे से कहा – बेटे, तुम अकेले नदी के किनारे मत जाया करो|

 

बालक ने पूछा – क्यों?

 

बाबा ने कहा – वहां भूत रहता है|

 

भूत की बात सुनकर बालक के मन में इतना डर बैठ गया कि उसके लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया|

 

जरा-जरा-सी बात में भूत उसके सामने आ खड़ा होता!

 

बाबा यह देखकर बड़े हैरान हुए| उन्होंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि बालक भूत की बात से इतना डर जाएगा! तब उन्होंने एक दिन बालक के हाथ में एक धागा बांध दिया और कहा – अब तुम्हें भूत से डरने की कोई जरूरत नहीं है| यह देखो, भगवान तुम्हारे साथ रहेंगे|

 

बालक खुश हो गया| वह फिर से बाहर घूमने लगा| एक दिन संयोग से उसके हाथ का धागा टूटकर कहीं गिर गया|

 

बालक घबराया हुआ बाबा के पास आया और खाली कलाई बाबा को दिखाकर बोला – बाबा, भगवान चले गए! मैं अब क्या करूं?

 

तब बाबा ने उसको समझाकर कहा – बेटे, नदी के किनारे कोई भूत-वूत कुछ नहीं था और न धागे में भगवान थे| ये तो हमारे बनाए हुए थे| आदमी को डरना नहीं चाहिए| जिसका दिल मजबूत होता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता|

 

बालक को अब असली बात समझ में आ गई और वह आनंद से रहने लगा|

 

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