चार चौकीदार
Char Chokidar
एक राजा था| उसके राज्य में कभी भी उपद्रव नहीं होते थे| प्रजा बहुत सुखी थी| उसके राज्य से सटा एक दुसरे राजा का छोटा-सा राज्य था, लेकिन उसमें आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते थे| लोग आपस में लड़ते रहते थे| उसकी प्रजा बहुत ही दुखी थी, जिसकी वजह से राजा भी बहुत परेशान था|
एक दिन वह राजा दूसरे राजा के पास आकर बोला – मेरा छोटा-सा राज्य है, पर उसमें आए दिन उत्पात होते रहते हैं| आपका राज्य इतना बड़ा है, फिर भी यहां पूर्ण शांति है, इसका कारण क्या है?
राजा हंसते हुए बोला – आप ठीक कहते हैं| मेरे राज्य में बड़ा चैन है| उसका कारण यह है कि मैंने अपने यहां चार चौकीदार तैनात कर रखे हैं, जो हर घड़ी मेरी रक्षा करते रहते हैं|
दूसरे ने कहा – बस चार, मेरे यहां तो चौकीदारों की फौज है, पर इसका कोई फायदा नहीं, फिर आपका काम चार चौकीदारों से कैसे चल जाता है?
राजा बोला – जी, मेरे रक्षक दूसरी तरह के हैं|
कैसे? दूसरे राजा ने उत्सुकता से पूछा|
राजा ने उत्तर दिया – पहला रक्षक है सत्य| वह मुझे असत्य नहीं बोलने देता|
और दूसरा?
राजा बोला – दूसरा है प्रेम| वह मुझे घृणा से बचाता है|
तीसरा?
राजा बोला – तीसरा है न्याय| वह मुझे अन्याय नहीं करने देता|
और चौथा?
राजा ने गंभीर होकर कहा – चौथा है त्याग| वह स्वार्थी होने से मेरी रक्षा करता है|
राजा की शंका का समाधान हो गया| जिस राजा के सत्य, प्रेम, न्याय और त्याग, जैसे चौकीदार होते हैं, उसे कोई परेशानी नहीं हो सकती|