Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “ Deh Amar nahi” , “देह अमर नहीं” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

देह अमर नहीं

 Deh Amar nahi

एक राजा को फूलों का शौक था। उसने सुंदर, सुगंधित फूलों के पचीस गमले अपने शयनखंड के प्रांगण में रखवा रखे थे। उनकी देखभाल के लिए एक नौकर रखा गया था। एक दिन नौकर से एक गमला टूट गया। राजा को पता चला तो वह आगबबूला हो गया। उसने आदेश दिया कि दो महीने के बाद नौकर को फांसी दे दी जाए। मंत्री ने राजा को बहुत समझाया, लेकिन राजा ने एक न मानी। फिर राजा ने नगर में घोषणा करवा दी कि जो कोई टूटे हुए गमले की मरम्मत करके उसे ज्यों का त्यों बना देगा, उसे मुंहमांगा पुरस्कार दिया जाएगा। कई लोग अपना भाग्य आजमाने के लिए आए लेकिन असफल रहे।

एक दिन एक महात्मा नगर में पधारे। उनके कान तक भी गमले वाली बात पहुंची। वह राजदरबार में गए और बोले, ‘राजन् तेरे टूटे गमले को जोड़ने की जिम्मेदारी मैं लेता हूं। लेकिन मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं कि यह देह अमर नहीं तो मिट्टी के गमले कैसे अमर रह सकते हैं। ये तो फूटेंगे, गलेंगे, मिटेंगे। पौधा भी सूखेगा।’ लेकिन राजा अपनी बात पर अडिग रहा।

आखिर राजा उन्हें वहां ले गया जहां गमले रखे हुए थे। महात्मा ने एक डंडा उठाया और एक-एक करके प्रहार करते हुए सभी गमले तोड़ दिए। थोड़ी देर तक तो राजा चकित होकर देखता रहा। उसे लगा यह गमले जोड़ने का कोई नया विज्ञान होगा। लेकिन महात्मा को उसी तरह खड़ा देख उसने आश्चर्य से पूछा, ‘ये आपने क्या किया?’ महात्मा बोले, ‘मैंने चौबीस आदमियों की जान बचाई है। एक गमला टूटने से एक को फांसी लग रही है। चौबीस गमले भी किसी न किसी के हाथ से ऐसे ही टूटेंगे तो उन चौबीसों को भी फांसी लगेगी। सो मैंने गमले तोड़कर उन लोगों की जान बचाई है।’ राजा महात्मा की बात समझ गया। उसने हाथ जोड़कर उनसे क्षमा मांगी और नौकर की फांसी का हुक्म वापस ले लिया।

 

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