Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Kaun Bada Murkh” , “कौन बड़ा मुर्ख” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

कौन बड़ा मुर्ख

Kaun Bada Murkh

 

 

एक बूढ़ी औरत के दो बेटे थे | उनका नाम इवान और तात्या था | वह दोनों को बहुत प्यार करती थी | एक बार एक दुर्घटना में बुढ़िया का बेटा तात्या मारा गया |

तात्या की मौत से बुढ़िया बहुत दुखी थी | एक दिन इवान को किसी काम के सिलसिले में गांव से बाहर जाना पड़ा, तभी एक सिपाही बुढ़िया के पास आया | बुढ़िया ने उससे पूछा – भैया, तुम कहां से आए हो ?

मां, मैं दूसरी धरती का रहने वाला हूं | सिपाही बोला |

अच्छा तो तुमने मेरे बेटे तात्या को भी देखा होगा ? कैसा है मेरा बेटा तात्या |

तात्या को मैंने कई बार देखा है | परंतु वह बहुत परेशान है |

क्यों ? बुढ़िया घबराते हुए बोली |

मां, तात्या को बिल्ली की पीठ पर बैठकर 50 मील दूर जाना पड़ता है | फिर घोड़ों को सूखी झाड़ियां खिलानी पड़ती हैं | सिपाही बोला |

अच्छा, फिर तो मेरे बेटे को बहुत मेहनत करनी पड़ती होगी | वह घोड़े को सूखी झाड़ियां कैसे खिलाता होगा, यहां तो ऊंट झाड़ियां खाते हैं |

बुढ़िया कहकर भीतर चली गई | उसके पास 100 रूबल और 10 मीटर कपड़ा व नए जूते रखे थे | उन्हें उठाकर सिपाही को दे दिया और बोली – इन चीजों को मेरे बेटे को दे देना | वह बेचारा परेशान होगा |

सिपाही सामान लेकर खुशी-खुशी चला गया | कुछ समय बाद इवान वापस आया तो मां ने सारी बात इवान को बताई | इवान सुनकर क्रोधित हो उठा कि क्या बेवकूफी करती हो ? वह सिपाही तुम्हें ठग कर ले गया है | मुझे लगता है कि दुनिया में कोई तुमसे बड़ा मुर्ख नहीं होगा | मैं घर से बाहर जा रहा हूं और तभी लौटूंगा जब इससे भी बड़ा मुर्ख ढूंढ़ लूंगा |

इवान घर से काफी दूर निकल गया | उसने देखा कि एक घर के बाहर बड़े तगड़े मुर्गे-मुर्गियां खेल रहे हैं | उसने झुककर एक मुर्गी को प्यार किया और दंडवत् प्रणाम किया | उस घर की मालिकिन खिड़की से यह सब देख रही थी | उसने इवान को भीतर बुलवाकर पूछा – यह क्या कर रहे थे ?

इवान ने उस स्त्री का अभिवादन कर कहा – यह मुर्गी मेरी मुर्गी की बड़ी बहन है | कल मेरी मुर्गी की शादी है, अत: आपकी मुर्गी को सपरिवार दावत देने आया हूं, आपको कोई एतराज तो नहीं |

स्त्री मन ही मन इवान की बेवकूफी पर हंसने लगी और बोली – मेरी मुर्गी अपने परिवार सहित विवाह में जरूर जाएगी | पर उन्हें दाना जरा जमकर खिलाना और हां विवाह की मिठाई भी इनके साथ खूब सारी भेजना |

क्यों नहीं, जल्दी ही मिठाई लेकर मुर्गी आएगी | इवान ने कहा | स्त्री ने एक बैलगाड़ी में बिठाकर मुर्गे-मुर्गी व चूजे इवान को सौंप दिए और बैलगाड़ी में खाली टोकरी रखवा दी | वह मन ही मन खुश होने लगी कि दो-चार दिन मुर्गी को दाना इवान खिलाएगा, फिर मुर्गी मिठाई की टोकरी लेकर वापस लौटेगी | इवान सब कुछ लेकर चला गया |

स्त्री का पति वापस आया तो पत्नी ने हंसकर सारा किस्सा बयान कर दिया – कैसा बेवकूफ आदमी था, मुर्गी से रिश्तेदारी लेकर आया था |

बेवकूफ तो तुम हो | क्रोधित होते हुए पति बोला – वह तुम्हें ठग कर ले गया और तुमने खुशी से सब कुछ उसके हवाले कर दिया, यहां तक कि बैलगाड़ी भी जाने के लिए दे दी |

पत्नी पछताने लगी और बोली – वह आदमी अभी एक घंटा पहले ही गया है, ज्यादा दूर नहीं गया होगा, कृपया कुछ कीजिए | नौकर को भेजकर पकड़वा लीजिए |

पति को और कुछ न सूझा | अपना घोड़ा और बंदूक लेकर उसी दिशा में चल दिया जिधर वह व्यक्ति गया था |

इवान काफी दूर जंगल में पहुंच चुका था | अचानक घोड़े की आवाज सुनकर उसे लगा कि हो सकता है कि मुर्गी-बैलगाड़ी का मालिक उसे ढूंढ़ने आ रहा हो | उसने जल्दी से बैलगाड़ी झाड़ियों की आड़ में छिपा दी |

बैलगाड़ी से टोकरी निकालकर थोड़ी दूर ले जाकर उसे उल्टा करके उस पर अपनी कमीज ढक दी | फिर टोकरी के सामने बैठकर घोड़े पर आने वाले का इंतजार करने लगा | कुछ ही क्षणों में वह व्यक्ति आ पहुंचा |

उसने पूछा – क्या तुमने इधर से किसी आदमी को मुर्गी, मुर्गे व चूजे को बैलगाड़ी पर ले जाते देखा है |

हां, श्रीमान देखा है, तुरंत अब तो वह काफी दूर निकल चुका होगा | इवान ने कहा |

ठीक है, मैं उसे पकड़ने जाता हूं | स्त्री का पति बोला |

लेकिन जंगल के टेढ़े-मेढ़े रास्ते आपको मालूम हैं न ? इवान ने पूछा |

नहीं, रास्ते तो नहीं मालूम | जाओ भाई, तुम उसे पकड़ लाओ, मैं तुम्हें इनाम में दो सौ रूबल दूंगा | पति बोला |

लेकिन मैं नहीं जा सकता | मैं बोलने वाले तोतों का जोड़ा खरीदकर लाया हूं, जो बहुत महंगा है | यह जोड़ा लोगों का भविष्य बताता है | यदि टोकरे के नीचे से एक भी तोता निकल गया तो मैं कहीं का न रहूंगा | इवान ने मासूमियत से कहा |

अरे भाई, तोता उड़ गया तो उसकी कीमत ले लेना |

तीन-तीन सौ रूबल के दो तोते खरीदे हैं | मुझे क्या पता कि बाद में तुम मुझे रूबल दोगे या नहीं |

उस व्यक्ति ने उसे यकीन दिलाने के लिए छ: सौ रूबल दिए, फिर कहा – अब तो जाओ और  उस व्यक्ति को पकड़कर लाओ |

लेकिन मैं जाऊंगा कैसे ? इवान ने पूछा

मैं तब तक तुम्हारे तोतों की रखवाली करता हूं, तुम मेरा घोड़ा ले जाओ और उस आदमी को पकड़कर लाओ | हो सकता है वह आसानी से न माने, मेरी बंदूक भी ले जाओ | पति ने कहा |

इवान ने रूबल, घोड़ा और बंदूक ली और नौ दो ग्यारह हो गया | वह व्यक्ति शाम तक इवान के वापस आने का इंतजार करता रहा, फिर टोकरा उठाकर देखा तो टोकरा खाली देख रो पड़ा |

इवान अपने घर वापस पहुंचा और मां से बोला – इस दुनिया में बहुत बड़े-बड़े मुर्ख हैं | और सारा किस्सा सुनाकर हंसने लगा | फिर अगले दिन बैलगाड़ी और मुर्गी भी जंगल से ले आया |

 

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