Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Mantri ne dharti par karaye raja ko swarg ke darshan” , “मंत्री ने धरती पर कराए राजा को स्वर्ग के दर्शन” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12. क्रोध का कलंक Krod

मंत्री ने धरती पर कराए राजा को स्वर्ग के दर्शन

Mantri ne dharti par karaye raja ko swarg ke darshan

 

 

एक राजा अपने दरबारियों से पौराणिक आख्यान सुना करता था। एक मंत्री ने राजा को इंद्र और उनके स्वर्ग की कथा सुनाई। राजा ने कहा- मंत्रीजी! स्वर्ग की बात मुझे तो गप लगती है। मंत्री बोला- महाराज! स्वर्ग तो वास्तव में होता है।

 

यह सुनकर राजा ने कहा- यदि ऐसा है तो आप हम सभी को इंद्र की सवारी के दर्शन कराइए। मंत्री को राजा के इस आग्रह ने बड़ी परेशानी में डाल दिया। दिन बीतने लगे। इसी बीच राजा ने राजधानी की नदी पर बांध का निर्माण कार्य शुरू कराया, जिसकी देख-रेख का काम मंत्री को सौंपा गया। जब बांध बन गया तो मंत्री ने उसके पास एक दीवार बनवाकर उसमें छोटे-छोटे सरोवर बनवाए।

 

सुंदर नक्काशी से दीवार व झरोखे सुशोभित हो उठे। शरद पूर्णिमा की रात मंत्री राजा व अन्य दरबारियों को लेकर नदी पर गया और सभी को झरोखों में बैठाकर कहा- अभी आप सभी को यहां इंद्र की सवारी आती दिखाई देगी। फिर मंत्री ने जोर-जोर से बोलना शुरू किया- देखिए महाराज! इंद्र की सवारी आ रही है। ऐरावत पर इंद्र, साथ में सुंदर अप्सराएं। वाह! किंतु पुण्यशाली लोगों को ही यह दिखाई देगा, पापी को नहीं। किसी को कुछ नहीं दिखाई दिया किंतु फिर भी सभी चुप बैठे रहे। अगले दिन राजा ने मंत्री से वास्तविकता जाननी चाही, तो वह बोला- महाराज! आपने बांध बनवाया है। इससे गरीबों को बड़ा सुख मिला है। उनके सुख में ही आपका स्वर्ग छिपा है। राजा समझ गया कि अपने सत्कर्मो की सुवास धरती पर ही स्वर्ग के दर्शन करा देती है।

 

सार यह कि यदि हम दूसरों के चेहरों पर तनिक भी खुशी ला सकें, उनके जीवन का एक कोना भी हरा-भरा कर सकें, बस वहीं स्वर्ग मिल जाता है।

 

189 व्यर्थ की लड़ाई

 

 

Vyarth ki Ladai

एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था|

 

उसकी स्त्री अक्सर बीमार रहती थी| वह दवाइयां खा-खाकर जीती थी और डॉक्टरों के मारे उसकी नाक में दम था|

 

एक दिन पति-पत्नी में झगड़ा हो गया| पति ने कहा – मैं लड़के को वकील बनाऊंगा, जिससे वह मुझे सहारा दे सके|

 

स्त्री बोली – मैं उसे डॉक्टर बनाउंगी, जिससे वह मेरी रात-दिन की परेशानी को दूर कर सके|

 

दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़ गए| बात बढ़ती गई तो दोनों चिल्ला-चिल्लाकर बोलने लगे| उनकी आवाज सुनकर राह चलते लोग रुक गए|

 

उन्होंने दोनों की बातें सुनीं| बोले – आखिर लड़के से तो पूछो कि वह क्या बनना चाहता है? बुलाओ उसे, हम पूछ लेते हैं|

 

उनका सवाल सुनकर पति-पत्नी का गुस्सा ठण्डा पड़ गया| लड़का था कहां! वह तो अभी पैदा होना था|

 

 

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