Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Sakaratmak Soch vala khush hokar nachne laga” , “सकारात्मक सोच वाला खुश होकर नाचने लगा” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

सकारात्मक सोच वाला खुश होकर नाचने लगा

Sakaratmak Soch vala khush hokar nachne laga

 

 

एक दिन वन में गुजरते हुए नारदजी ने देखा कि एक मनुष्य ध्यान में इतना मग्न है कि उसके शरीर के चारों ओर दीमक का ढेर लग गया है। नारदजी को देखकर उसने उन्हें प्रणाम किया और पूछा -प्रभु! आप कहां जा रहे हैं? नारदजी ने उत्तर दिया- मैं बैकुंठ जा रहा हूं।

तब उस व्यक्ति ने नारदजी से निवेदन किया- आप भगवान से पूछकर आएं कि मैं कब मुक्ति प्राप्त करूंगा? नारदजी ने स्वीकृति दे दी। थोड़ा आगे जाने पर नारदजी ने एक दूसरे व्यक्ति को देखा। अपनी धुन में मस्त उस व्यक्ति ने भी नारदजी को प्रणाम कर अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी- आप जब भगवान के समक्ष जाएं तो पूछें कि मैं मुक्त कब होऊंगा? नारदजी ने उसे भी हां कर दी।

टते समय दीमक वाले व्यक्ति ने पूछा- भगवान ने मेरे बारे में क्या कहा? नारदजी ने कहा- भगवान बोले कि मुझे पाने के लिए उसे चार जन्म और लगेंगे। यह सुनकर वह योगी विलाप करते हुए कहने लगा- मैंने इतना ध्यान किया कि मेरे चारों ओर दीमक का ढेर लग गया, फिर भी चार जन्म और लेने पड़ेंगे। दूसरे व्यक्ति के पूछने पर नारदजी ने जवाब दिया- भगवान ने कहा कि सामने लगे इमली के पेड़ में जितने पत्ते हैं, उसे मुक्ति के लिए उतने ही जन्म प्रयास करने पड़ेंगे। यह सुन वह व्यक्ति आनंद से नृत्य करने लगा और बोला- मैं इतने कम समय में मुक्ति प्राप्त करूंगा। उसी समय देववाणी हुई मेरे बच्चे! तुम इसी क्षण मुक्ति प्राप्त करोगे।

 

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