Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Samajhdari Ki Baat” , “समझदारी की बात” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

समझदारी की बात

Samajhdari Ki Baat

 

 

एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही|

 

अगले दिन सेठ ने कमरे के फर्श पर एक रुपया डाल दिया| सफाई करते समय नौकर ने देखा| उसने रुपया उठाया और उसी समय सेठ के हवाले कर दिया|

 

दूसरे दिन वह देखता है कि फर्श पर पांच रुपए का नोट पड़ा है| उसके मन में थोड़ा शक पैदा हुआ|

 

हो-न-हो सेठ उसकी नीयत को परख रहा है| बात आई, पर उसने उसे तूल नहीं दिया| पिछली बार की तरह नोट उठाया और बिना कुछ कहे सेठ को सौंप दिया|

 

वह घर में काम करता था, पर सेठ की निगाह बराबर उसका पीछा करती थी|

 

मुश्किल में एक हफ्ता बीता होगा कि एक दिन उसे दस रुपए का नोट फर्श पर पड़ा मिला| उसे देखते ही उसके बदन में आग लग गई| उसने सफाई का काम वहीं छोड़ दिया और नोट को हाथ में लेकर सीधा सेठ के पास पहुंचा और बोला – लो संभालो अपना नोट और घर में रखो अपनी नौकरी! तुम्हारे पास पैसा है, पर सेठ यह समझने के लिए कि अविश्वास से विश्वास नहीं पाया जा सकता, पैसे के अलावा कुछ और चाहिए| वह तुम्हारे पास नहीं है| मैं ऐसे घर में काम नहीं कर सकता|

 

सेठ उसका मुंह ताकता रह गया| वह कुछ कहता कि उससे पहले ही वह नौजवान घर से बाहर जा चुका था|

 

इस कहानी से ये बात बहुत हद तक साबित होती है कि विश्वास पर दुनिया कायम है, लेकिन शक विश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन होता है|

 

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