समपर्ण
Samarpan
संत राबिया एक दिन बहुत बीमार हो गईं| एक साधक उनसे मिलने आया| राबिया की हालत देखकर उसे बड़ा दुख हुआ, पर कहे तो क्या कहे|
राबिया उसके मन की बात ताड़ गईं| उन्होंने कहा – तुम कुछ कहना चाहते हो, कहो|
उस साधक ने कहा – आप इतनी बीमार हो| ईश्वर से प्रार्थना करो, वह आपकी बीमारी को दूर कर देंगे|
राबिया उसकी बात सुनकर हंस पड़ीं| बोलीं – क्या तुम्हें पता नहीं कि बीमारी किसकी इच्छा से होती है? क्या मेरी बीमारी में प्रभु का हाथ नहीं है?
साधक बोला – आप ठीक कहती हैं| बिना उसकी इच्छा के कुछ भी नहीं हो सकता|
तब! राबिया ने कहा – तुम मुझसे कैसे कहते हो कि मैं उसकी इच्छा के खिलाफ बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उससे प्रार्थना करूं? उसे जिस दिन ठीक करना होगा, अपने आप कर देगा|