Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Savle salone Shri Bal Krishan Ki Leela” , “साँवले सलोने श्रीबालकृष्ण की लीला” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12. क्रोध का कलंक Krod

साँवले सलोने श्रीबालकृष्ण की लीला

Savle salone Shri Bal Krishan Ki Leela

 

 

एक दिन साँवले सलोने बालश्रीकृष्ण रत्नों से जड़ित पालने पर शयन कर रहे थे। उनके मुख पर लोगों के मन को मोहने वाली मंद हास्य की छटा स्पष्ट झलक रही थी। कुटिल दृष्टि न लग जाए इसलिए उनके ललाट पर काजल का चिह्न शोभायमान हो रहा था। कमल के सदृश उनके दोनों सुंदर नेत्रों में काजल विद्यमान था।

 

अपने मनमोहक पुत्र को यशोदा ने अपनी गोद में ले लिया। उस समय वे अपने पैर का अंगूठा चूस रहे थे। उनका स्वभाव पूर्णतः चपल था। घुंघराले केशों के कारण उनकी अंगछटा अत्यंत अद्भुत दिखाई पड़ रही थी। वक्षस्थल पर श्रीवत्सचिह्न, बाजूबंद और चमकीला अर्द्धचंद्र उनकी देहयष्टि पर शोभायमान हो रहा था।

 

ऐसे अपने पुत्र श्रीकृष्ण को लाड़-प्यार करती हुई यशोदा आनंद का अनुभव कर रही थीं। बालक कृष्ण दूध पी चुके थे। उन्हें जम्हाई आ रही थी। सहसा माता की दृष्टि उनके मुख के अंदर पड़ी। उनके मुख में पृथिव्यादि पाँच तत्वों सहित संपूर्ण विराट् तथा इंद्र प्रभृति श्रेष्ठ देवता दृष्टिगोचर हुए।

 

बच्चे के मुख में संपूर्ण विश्व को अकस्मात्‌ देखकरवह कंपायमान हो गईं और उनके मन में त्रास छा गया। अतः उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं, उनकी माया के प्रभाव से यशोदा की स्मृति टिक न सकी। अतः अपने बालक पर पुनः वात्सल्य पूर्ण दयाभाव, प्रेम उत्पन्न हो गया।

 

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