Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Sevak ka Baddhapan” , “सेवक का बड़प्पन” Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

सेवक का बड़प्पन

Sevak ka Baddhapan

 

 

मेवाड़ के महाराणा अपने एक नौकर को हमेशा अपने साथ रखते थे, चाहे युद्ध का मैदान हो, मंदिर हो या शिकार पर जाना हो। एक बार वह अपने इष्टदेव एकलिंग जी के दर्शन करने गए। उन्होंने हमेशा की तरह उस नौकर को भी साथ ले लिया। दर्शन कर वे तालाब के किनारे घूमने निकल गए। उन्हें एक पेड़ पर ढेर सारे पके आम दिखाई दिए। उन्होंने एक आम लेकर चार फांकें बनाईं। एक फांक नौकर को देते हुए कहा, ‘बताओ, इसका कैसा स्वाद है?‘ आम खाकर नौकर ने कहा ‘महाराज! बहुत मीठा है। ऐसा मीठा आम तो मैंने कभी खाया ही नहीं। कृपया एक और देने की कृपा करें।’

 

महाराणा ने एक फांक और दे दी। नौकर ने उसे भी पहले की तरह मजे लेकर खाया और कहा, ‘वाह! क्या स्वाद है! मजा आ गया। मेहरबानी करके एक और दे दीजिए।’ महाराणा को हैरत हुई। उन्हें उसके व्यवहार में थोड़ी अस्वाभाविकता नजर आई। लेकिन वह उनका प्रिय सेवक था जिससे वह काफी स्नेह करते थे। इसलिए उसकी इस मांग को पूरा करने में उन्हें कोई संकोच नहीं हुआ। उन्होंने तीसरी फांक भी दे दी। उसे खाते ही नौकर बोला, ‘यह तो बिल्कुल अमृत फल है। यह भी दे दीजिए।’ उसने अंतिम फांक भी मांग ली। लेकिन इस बार महाराणा को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा, ‘तुम्हें शर्म नहीं आती। तुम्हें सब कुछ पहले मिलता है तब भी तुम इतनी हिम्मत कर रहे हो मेरे सामने?’

 

यह कहते हुए महाराणा ने वह फांक अपने मुंह में रख ली लेकिन तुरंत उगल दिया। वह बोले, ‘इतना खट्टा आम खाकर भी तुम कहते रहे कि यह मीठा है, अमृत तुल्य है, क्या स्वाद है। क्यों कहा ऐसा?’ नौकर बोला, ‘महाराज! जीवन भर आप मीठे आम देते रहे हैं। आज खट्टा आम आ गया तो कैसे कहूं कि यह खट्टा है, ऐसा कहना, मेरी कृतघ्नता नहीं होती?’ महाराणा ने उसे गले से लगा लिया और उसे पुरस्कृत किया।

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