गौ हत्या के दोषी सदन कसाई के काट गए थे हाथ
Gau hatya ke doshi Sadan Kasai ke Kate gye the haath
गाय का मालिक कसाई था। एक दिन यह गाय अपना बंधन तोड़कर भाग चली। कसाई गाय का पीछा करता दौर रहा था।
एक व्यक्ति ने उस गाय को पकड़ लिया और कसाई को सौंप दिया जिसने बाद में गाय को मार दिया। समय बीता और गाय ने दूसरा जन्म लिया।
गाय अगले जन्म में बदले की भावना के कारण एक स्त्री बनी और जिस कसाई ने उसे मार था वो उसका पति। गाय को पकड़ने वाले का भी पुनर्जन्म हुआ और वह कसाई बना। इस कसाई का नाम था सदन। सदन कसाई होने पर भी पूर्वजन्म के कर्मों के कारण वह प्रसिद्द किर्षन भक्त था। एक बार यह तीर्थयात्रा पर निकला।
बीच रस्ते में उसने एक घर में शरणं मांगी, घर में सिर्फ वरवधु रहते थे। सदन पर औरत रीझ गई, रात में जब उसका पति सो गया तब वह सदन के पास आई और प्रेम की प्रार्थना करने लगी। लेकिन सदन ने उसकी बात नहीं मानी। स्त्री को लगा कि सदन उसके पति के भय से उसके प्रेम को स्वीकार नहीं कर रहा है। स्त्री घर के अंदर गई और तेज हथियार से अपने पति की हत्या कर दी।
पति की हत्या के बाद औरत (पूर्व जन्म में उसी के हाथो मारी गई गाय) वापस सदन के पास आई और बोली तुम्हें मेरे पति से डरने की जरूरत नहीं है मैंने उसका वध कर दिया है। इसके बाद भी सदन ने उस स्त्री के प्रेम को अस्वीकार कर दिया। अब तो स्त्री को क्रोध आ गया और उसने शोर मचाना शुरू कर दिया। स्त्री ने अपने पति की हत्या का आरोप सदन के ऊपर लगा दिया।
राजा ने दंड स्वरूप सदन के दोनों हाथ कटवा दिए। सदन अपने कटे हुए हाथों के साथ जगन्नाथ पुरी पहुंचा। यहां पहुंचने पर एक रात उसे सपने में आकर जगन्नाथ जी ने बताया कि तुमने पूर्वजन्म में गाय को पकड़कर कसाई को सौंप दिया था।
गाय ने तुम्हें माफ नहीं किया और स्त्री के रूप में जन्म लेकर तुम्हें यह दंड दिया है। कहते हैं इसके बाद जगन्नाथ जी ने एक चमत्कार किया और सदन के दोनों हाथ वापस लौट आए।