राजा भारत और बृहस्पति ऋषि
Raja Bharat aur Brihaspati Rishi
शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र राजा भरत के तीन संताने थी लेकिन वो तीनो ही उनके उत्तराधिकारी बनने के योग्य न थे।
जब उनकी तीनो पत्नियों को ये पता चला तो उन्होंने अपने ही पुत्रों को मार दिया था, तब राजा दुखी रहने लगे और एक दिन ऐसे में ही बृहस्पति से उनकी मुलाकात हुई। तब बृहस्पति ने उन्हें पुत्र देने की बात स्वीकारी जो की वो गोद ले लेंगे, लेकिन बृहस्पति की पत्नी तारा का तो चन्द्र हरण करके ले गया था तो ऐसे में वो कैसे पुत्र देते।
तब बृहस्पति ऋषि ने अपने छोटे भाई उत्थाय की पत्नी जो की गर्भवती भी थी से संतान पैदा करनी चाही जिसके लिए वो असहज थी। इतना ही नहीं गर्भस्थ शिशु ने भी इस बात पे आपत्ति जताई तो बृहस्पति ने उसे अंधे होने का श्राप दे दिया था, और फिर भरद्वाज ऋषि का को पैदा करने के लिए उससे समागम किया।
पर जब पुत्र पैदा हुआ तो उत्थाय की पत्नी अकेली थी और अपने पति के डर से की वो क्या सोचेंगे कंही गलत न सोच ले उस बालक को वन में छोड़ दिया जो की बाद में राजा भारत के पास पहुँच गया। राजा भारत के बृहस्पति से आग्रह करने की बात हालाँकि मतभेद वाली है लेकिन बाद की बात ऐसे ही वर्णित है।