Hindi Short Story and Hindi Poranik kathaye on “Shiv Pooja me kyo kaam me nahi lete Ketaki ke phool” Hindi Prernadayak Story for All Classes.

शिव पूजा में क्यों काम में नहीं लेते केतकी के फूल।

Shiv Pooja me kyo kaam me nahi lete Ketaki ke phool

एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सर्वानुमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा, उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा।

अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्माजी भी सफल नहीं हुए, परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। केतकी के पुष्प ने भी ब्रह्माजी के इस झूठ में उनका साथ दिया। ब्रह्माजी के असत्य कहने पर स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की आलोचना की।

दोनों देवताओं ने महादेव की स्तुति की, तब शिवजी बोले कि मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूँ। मैंने ही तुम दोनों को उत्पन्न किया है। शिव ने केतकी पुष्प को झूठा साक्ष्य देने के लिए दंडित करते हुए कहा कि यह फूल मेरी पूजा में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इसीलिए शिव के पूजन में कभी केतकी का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता।

 

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