साइकिल चोर
Cycle chor
मीना अपने घर के बाहर दीपू का इंतज़ार कर रही है क्योंकि उन दोनों ने कुछ सामान लेने लाला की दुकान पर जाना है अपनी-अपनी साइकिलों पे।
मीना- दीपू तुम इतनी देर से क्यों आये हो? और….तुम्हारी साइकिल कहाँ है?
दीपू- मीना, मेरी साइकिल चोरी हो गयी।….रोज़ की तरह मैंने कल रात को भी अपनी साइकिल घर के बाहर खडी की थी लेकिन आज सुबह उठके देखा तो साइकिल वहां थी ही नहीं।
मीना- हो सकता है तुम्हारी साइकिल चाचाजी ले गयें हो।
दीपू- नहीं मीना, पिताजी घर पर ही हैं।…..जो हुआ सो हुआ क्या कर सकते हैं? चलो, लाला की दुकान से सामान लेने चलते हैं।
मीना, दीपू को अपनी साइकिल पर बिठा के लाला जी की दुकान पे पहुँची, वहां जाके उन्होंने देखा कि लाला अपने मुंशी को डांट रहा है, ‘मुंशी जी अब आप किसी काम के नहीं रहे ना आपसे दुकान संभलती है ना ही कुछ और। मेरी मानो तो नौकरी छोड़ के तीर्थ यात्रा पर निकल जाओ।’
दीपू- क्या हुआ लालाजी? आप मुंशी जी को क्यों डांट रहे हैं?
लालाजी- क्या बताऊँ दीपू बेटा? पिछले महीने मैंने इनको दो हज़ार रुपये दिए थे..उधार, साइकिल खरीदने के लिए…..ले आये थे ये साइकिल और कल चोरी भी करवा बैठे।
मुंशी जी- लालाजी मैंने तो साइकिल घर के आँगन में ही खडी की थी फिर पता नहीं चोरी कैसे हो गयी?
मीना- लालाजी…मुंशी जी…कल रात को दीपू की साइकिल भी चोरी हो गयी।…मुझे तो लगता है कि हमारे गाँव में कोई साइकिल चोर आया हुआ है। दीपू…मुंशी जी… आप दोनों को पुलिस में रिपोर्ट लिखानी चाहिए।
मुंशी जी- तुम ठीक कह रही हो मीना बेटी।
लालाजी-….तुम दोनों को अपनी साइकिल जंजीर से बांधकर रखनी चाहिए थी।
दीपू-….काश! मैंने भी अपनी साइकिल जंजीर से बांधकर रखी होती। मीना मेरी मानो तो तुम अपनी साइकिल के लिए एक जंजीर खरीद ही लो।
मीना- एक नहीं दीपू….मैं दो जंजीरें खरीदूंगी।…मैं दूसरी जंजीर अपने भाई राजू की साइकिल के लिए खरीदूंगी।…..लालाजी, मैं जंजीर के पैसे कल आपको दे दूंगी।
लालाजी- मीना बिटिया, गाँव के सभी लोगों को बोल देना, वो भी अपनी-अपनी साइकिल की सुरक्षा के लिये जंजीर खरीदें…..मेरी दूकान से….ह्ह्ह …..ठीक है।
मीना लालाजी की दुकान से बाकी के सामान के साथ-साथ दो जंजीरें भी ले आयी और उसने रात को अपनी और राजू की साइकिल की साइकिल जंजीरों से बाँध कर घर के बाहर खडी की और अगली सुबह जब दीपू मीना के घर आया…..
दीपू- मीना, राजू क्या हुआ? तुम दोनों परेशान क्यों लग रहे हो?
राजू- किसी ने मेरी साइकिल के दोनों पहिये चुरा लिए।
मीना- हाँ दीपू….मेरी साइकिल की घंटी भी। गाँव में पक्का कोई चोर आया हुआ है।
दीपू, मीना और राजू लालाजी की दुकान के लिए घर से निकले। वो अभी थोड़ी दूर ही गए थे कि अचानक राजू ने कुछ देखा….
दीपू- क्या हुआ राजू? तुम रुक क्यों गए?
राजू- दीपू, मीना ये देखो साइकिल के पहियों के निशान।….पहियों के निशान आगे-पीछे नहीं बल्कि एक दम साथ-साथ हैं जैसे कि कोई साइकिल के दो पहिये धकेल के ले गया हो।
मीना- अरे हाँ! राजू ठीक कह रहा है। ….राजू,दीपू…हमें देखना होगा कि ये निशान कहाँ तक जा रहे हैं।
मीना, दीपू और राजू पहियों के निशान का पीछा करते-करते जंगल के पास पहुँच गए।
अनजान व्यक्ति- यहाँ क्या कर रहे हो तुम?
मीना- माफ कीजिये, हमने आपको पहचाना नहीं।
अनजान व्यक्ति- मैं….वो…मैं….यहाँ पास में रहता हूँ। तुम लोग जल्दी से वापस जाओ। ये जंगल बहुत खतरनाक है। बहुत खतरा है यहाँ।……मेरी बात मानो और जाओ यहाँ से क्योंकि जंगल में शेर आया हुआ है।
मीना दीपू और राजू गाँव की तरफ वापस चले लेकिन थोड़ी दूर चलने के बाद मीना रुक गयी।
मीना बोली, ‘राजू…दीपू, कुछ गड़बड़ है। ये जंगल खतरनाक नहीं हो सकता। हमें किसी बड़े से इस बारे में बात करनी होगी।
दीपू- ठीक है मीना। मैं भाग के जाता हूँ और अपनी दादी जी से बात
करता हूँ।
मीना- ठीक है दीपू….मैं और राजू सुमी के घर जाते हैं….सुमी के पास एक किताब है जिसमें भारत के सभी जंगलों की सारी जानकारी लिखी हुयी है।
दीपू अपनी दादी के पास भाग कर गया जबकि मीना और राजू सुमी के घर गए। थोड़ी देर बाद तीनों फिर से मिले…..
मीना- दीपू मैं और राजू ने सुमी के घर पे जाके वो किताब पढी। उसमे साफ-साफ लिखा है कि हमारे जंगल में सिर्फ हिरन और खरगोश पाए जाते हैं।
दीपू- मेरी दादीजी भी यही कह रही थी।
मीना- इसका मतलब वो आदमी हमसे झूंठ बोल रहा था।……दीपू, राजू…चलो…पुलिस के पास।
मीना,दीपू और राजू, मीना की माँ और पिताजी के साथ पुलिस स्टेशन गए और थाना अधीक्षक को सारी बात बताई। पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुए जंगल के उस हिस्से की तलाशी ली और उन्हें वहां से चार साइकिल और बहुत से पुर्जे बरामद हुए। उन्होंने चोर को भी गिरफ्तार कर लिया। ये वही आदमी था किसने मीना, दीपू और राजू को शेर की झूंठी खबर दी थी। बाद में पुलिस अधीक्षक ने पूरे गाँव के सामने मीना, दीपू और राजू को सम्मानित किया।