Hindi Short Story, Moral Story “  Meri mitra he ab sunder chidiya”, ” मेरी मित्र है अब सुंदर चिड़िया” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

मेरी मित्र है अब सुंदर चिड़िया

 Meri mitra he ab sunder chidiya

 

 मैं अपने घर में चिड़ियों का आना पसंद नहीं करता था। चिड़िया आती और इधर उधर गंदा करती थी। मैं पूरा दिन झाडू लेकर उनके पीछे भागता रहता था कि कहीं वे पंखे के उपर अपना घोंसला न बना लें। चिड़िया मेरे घर में बैठी होती और मैं बाहर कहीं से भी आता तो मुझे देखकर उड़ जाती।

 मैं खुश हो जाता था कि देखा मुझसे डरती है। स्कूल से आने के बाद मेरा सबसे पहला काम यही होता था कि मैं देखूँ कि चिड़िया कहीं से कचरा उठाकर घर में तो नहीं ला रही है।

 स्कूल की परीक्षा के दिन जब चालू हुए थे तो पेड़ों से पत्तियां और बारीक लकड़ियां टूटकर गिर जाती थी। चिड़िया सारा कचरा उठाकर घर में ले आती और घोंसला बनाने लगती। मुझे देखती तो कचरा बाहर फेंक देती। परीक्षा जब खत्म हुई तो पापा ने मुझसे कहा कि इस बार वे मुझे घुमाने के लिए राजीव अंकल के यहां अल्मोड़ा ले जाने वाले हैं। मैं सुनकर बहुत खुश हुआ।

 राजीव अंकल का बेटा सतीश मेरा बहुत अच्छा दोस्त था और पहले हम इकट्ठा पढ़ते थे। दो कक्षा तक साथ पढ़ने के बाद सतीश अल्मोड़ा चला गया। खैर मुझे सतीश से मिलने की खुशी हो रही थी। मैंने अल्मोड़ा के लिए निकलने से पहले घर की हर खिड़की खुद बंद की ताकि चिड़िया गंदा न करें। हम ट्रेन से अल्मोड़ा के लिए निकले। अल्मोड़ा पहुंचकर मैं सतीश से मिलकर बहुत खुश हुआ। हम दोनों ने ढेर सारी बातें की। सतीश ने मुझे कहा कि शाम को वह मुझे कुछ खास दिखाने वाला है।

 शाम को हम दोनों उसके घर की छत पर थे। मैंने देखा सतीश ने छत पर एक शेड लगा रखा है। छोटे छोटे कटोरों में बहुत सी जगहों पर पानी भरा रखा है और कुछ रंग बिरंगे पंख बिखरे पड़े हैं। सतीश के हाथ में एक छोटी थैली भी थी जिसमें कुछ अनाज के दाने थे। उसने कहा यह देखो और दाने जमीन पर डालकर डिब्बा बजाया। थोड़ी ही देर में छत तरह तरह के रंग-बिरंगे पक्षियों से भर गई। पक्षियों और खासकर चिड़ियों से मैं बहुत चिढ़ता था।

 पहली बार इतने पक्षी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने देखा चिड़िया सतीश के हाथों से दाने खा रही है। सतीश ने कुछ दाने मेरे हाथ में भी दिए और चिड़िया ने आकर वे दाने खाए। मुझे बहुत अच्छा लगा।

 मैंने सतीश से पूछा कि उसने यह सब कैसे किया। सतीश बोला पहले एक चिड़िया ने घर में घोंसला बनाया और जब उसने इस तरह की व्यवस्था की तो शाम को बहुत-सी चिड़िया आने लगी। दाने पानी का इंतजाम पक्षियों को खूब भाया।

 मैंने पूछा और गंदगी।

 सतीश बोला बस एक बार झाडू लगाना पड़ती है और क्या।

 मेरे समझ में आ गया था कि झाड़ू लेकर दिन भर चिड़िया के पीछे दौड़ने से अच्छा था कि छत पर ऐसी व्यवस्था करके एक बार झाडू लगा दी जाए। महीने भर बाद घर आकर मैंने भी ऐसा ही किया और अब मेरे घर भी बहुत-सी सुंदर चिड़िया आती है। उनके साथ वक्त गुजारना मुझे अच्छा लगता है।  

 

 

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