सियार और गधा
Siyar aur Gadha
एक समय की बात है एक गधा एक धोबी के पास रहता था| धोबी उसपर कपडे लाद कर रोज नदी किनारे कपडे धोने जाया करता था| दिन में खाली समय में गधा नदी किनारे की घास खाया करता था| एक दिन वहां कहीं से एक सियार आ गया| सियार और गधा आपस में बातें करने लगे| कुछ ही दिनों में दोनों की दोस्ती पक्की हो गई| दोनों आस पास घूमने जाया करते थे| एक दिन घूमते घूमते दोनों एक फारम में चले गए| फारम में हरी हरी ककड़ीयां देख कर उनके मुंह में पानी आ गया| दिन के समय में माली के रहते ककड़ी खाना बहुत मुश्किल था इस लिए दोनों वापस आगए| रास्ते में आते आते उन्हों ने फैसला किया कि रात में आ कर ककड़ियों का स्वाद लिया जाए| अगले दिन ही रात में गधा और सियार दोनों ककड़ी के फारम में जा पहुंचे| उन्हें ककड़िया बहुत स्वाद लगी| खूब भर पेट खाने के बाद गधे कि नज़र आसमान की ओर गई जहाँ पूर्णिमा का चाँद खिला हुआ था| चाँद को देखते ही गधे का मन गाना गाने को मचलने लगा|
गधे ने सियार से कहा देखो कितना सुन्दर दिख रहा है चंद्रमा | ऐसे में मेरा जी गाने को कर रहा है| सियार ने कहा ऐसा हरगिज मत करना नहीं तो हम मुसीबत में फंस जाएँगे| माली तुम्हारे गाने को सुनकर जाग जाएगा| तुम्हारी आवाज भी काफी ऊँची होती है| गधे ने कहा तुम गाने के बारे में क्या जानो| गाना कब गाया जाता है| इतने सुन्दर मौसम को में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता हूँ| में तो गाना गाऊंगा| सियार समझ गाया की गधा अब मानने वाला नहीं है| उस ने कहा ठीक है जब आप गाना ही चाहते हैं तो में बहार गेट पर चला जाता हूँ ओर माली का ख्याल रखता हूँ| जब माली आएगा तो में आप को सावधान कर दूंगा| सियार गेट से बहार आ गाया| गधे ने अपनी ऊँची आवाज में गाना शुरू कर दिया| गधे की आवाज सुन कर माली वहां आ गाया| माली ने गधे की डंडे से खूब पिटाई की| मार की वजह से गधा वहीँ गिर पड़ा| होश आने पर गधा बहार आया जहाँ सियार उसका इंतजार कर रहा था| गधे को देखते ही सियार हँसते हुए बोला आप ने मेरी बात नहीं मानी और उसका आप को उपहार भी मिल गाया है| गधे ने कराहते हुए कहा मेंरी बेवकूफी का मखौल मत उडाओ में पहले ही बहुत शर्मिंदा हूँ अपने प्यारे दोस्त की सलाह न मानाने पर|फिर दोनों अपने गंतब्य की ओर चल दीए| इसी लिए कहते हैं कि अच्छे दोस्त की अच्छी बात मान लेने में ही भलाई है|