Hindi Short Story, Moral Story “Upkar”, ”उपकार” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

उपकार

Upkar

 बहुत बड़ा देश है। उस देश में बहुत घने वन हैं और उन वनों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं। बहुत से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं। गरमी के दिनों में हाथी जिस रास्ते झरने पर पानी पीने जाते हैं, उस रास्ते में लोग बड़ा और गहरा गड्ढा खोद देते हैं, उस गड्ढे के चारों ओर भाले के समान नोंकवाली लकड़ियों को गाड़ देते हैं। फिर गड्ढे को पतली लकड़ियों और पत्तों से ढक देते हैं। जब हाथी पानी पीने निकलते हैं तो उनके दल में सबसे आगे- आगे चल रहा हाथी गड्ढे के ऊपर बिछी टहनियों के कारण गड्ढे को देख नहीं पाता और जैसे ही टहनियों पर पैर रखता है, टहनियाँ टूट जाती हैं और हाथी गड्ढे में गिर जाता है। हाथी पकड़ने वाले उस हाथी को लाकर पहले कई दिनों भूखा रखते हैं। गड्ढे में भी हाथी कई दिन भूखा रखा जाता है, जिससे कमजोर हो जाने के कारण निकलते समय बहुत उधम न मचाए। भूख के मारे हाथी जब छटपटाने लगता है, तब एक आदमी उसे चारा देने जाता है। चारा देने के बहाने वह आदमी हाथी से धीरे- धीरे जान- पहचान कर लेता है और फिर हाथी को वही सिखाता है।

शिक्षा देने के बाद हाथी को लोग बेच देते हैं। कई बार हाथी पकड़ने के लिये जो गड्ढा बनाया जाता है, उसमें रात को धोखे से हिरन, नीलगाय, चीते या जंगल के दूसरे पशु भी गिर जाते हैं। गड्ढा बनाने वाले उन्हें भी निकाल लाते हैं। हाथी पकड़ने वालों ने अफ्रीका के जंगल में एक बार हाथी फँसाने के लिये गड्ढा बनाया और ढक दिया। रात में एक सिंह उस गड्ढे में गिर पड़ा। सिंह किसी छोटे पशु को पकड़ने दौड़ा होगा और भूल से गड्ढे में जा पड़ा होगा। एक शिकारी उधर से निकला। उसने सिंह को गड्ढे में गिरा देखा। वीर पुरुष किसी को दुख में देखकर उसे मारते नहीं, उसकी सहायता करते हैं। सिंह बार- बार उछलता था, परन्तु गड्ढे के चारों ओर गड़ी नोक वाली लकड़ियों से उसे चोट लगती थी और वह फिर गड्ढे में गिर जाता था। शिकारी ने एक रस्सी में दो लकड़ियों को बाँधा और पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ पर रस्सी खींचकर उसने लकड़ियाँ उखाड़ दी। शिकारी ने नीचे से लकड़ियाँ इसलिये नहीं उखाड़ी कि कहीं गड्ढे से निकलने पर सिंह उसे मार न डाले। दो लकड़ियाँ उखाड़ने से सिंह को रास्ता मिल गया। वह उछलकर गड्ढे से बाहर निकल आया और जंगल में चला गया। वही शिकारी एक दिन एक झरने के किनारे पानी पीकर बंदूक रखकर बैठा था। वह बहुत थका था, इसलिये लेट गया और उसे नींद आ गयी। इतने में वहाँ एक चीता आया और शिकारी को मारने के लिये उस पर चढ़ बैठा, बेचारा शिकारी डर के मारे चिल्ला भी न सका। इतने में एक भारी सिंह जोर से गर्जा। उसकी गर्जना सुनकर चीता पूँछ दबाकर भागने लगा पर सिंह चीते के ऊपर कूद पड़ा और उसने चीते को मार डाला। शिकारी समझता था कि चीते को मारकर सिंह अब उसे मारेगा, लेकिन सिंह आया और शिकारी के सामने बैठकर पूँछ हिलाने लगा। शिकारी ने पहचान लिया कि यह वही सिंह है, जिसे गड्ढे में से निकलने में शिकारी ने सहायता की थी। सिंह जैसा भयंकर पशु भी अपने उपकार करने वाले को नहीं भूला था। तुम मनुष्य हो, तुम्हें तो कोई थोड़ा भी उपकार करे तो उसे नहीं भूलना चाहिये और उस परोपकारी की सेवा- सहायता करने के लिये सदा तैयार रहना चाहिये।

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