वस्तु का मूल्य
Vastu ka mulya
जौनपुर में एक धनवान आदमी रहता था। उसके पास एक प्राचीन स्वर्ण पात्र था।
वह सोचता था कि जब कोई महत्वपूर्ण मौका आएगा, तब उसे निकालेगा।
एक बार उसके यहां राज्य का एक मंत्री आया। तब उसने सोचा महज एक मंत्री लिए इसे निकालूं? किसी बड़े आदमी के सामने उसे निकालूंगा।
अगली बार उसके यहां एक संत पधारे तो उसने सोचा भला संत इसकी कद्र क्या जानेंगे?
एक बार उसके यहां राजा आया। उसने राजा के साथ भोजन किया, किंतु उसे लगा कि वह पात्र राजा की तुलना में अधिक गौरवप्रद है। जब उसके बच्चों की शादी हुई तब भी उसने वह स्वर्ण पात्र नहीं निकाला।
दिन गुजरते गए व एक दिन उसकी मौत हो गई। उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।