हिमालय की भौगोलिक विशेषताएँ
Geography of the Himalayas
हिमालय की प्रमुख लाक्षणिक विशिष्टता इसकी बुलंद ऊँचाइयाँ, खड़े किनारों वाले नुकीले शिखर, घाटियाँ, पर्वतीय हिमनदियाँ, जो अक्सर विशाल होती हैं, अपरदन द्वारा गहरी कटी हुई स्थलाकृति, अथाह प्रतीत होती नदी घाटियाँ, जटिल भौगर्भिक संरचना और ऊँची पट्टियों (या क्षेत्रों) की शृंखला है, जिनमें विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ, जंतुजीवन और जलवायु हैं। दक्षिण की ओर से देखने पर हिमालय विशालकाय अर्द्ध चंद्र प्रतीत होता है, जिसका मूल अक्ष हिमरेखा से ऊपर स्थित है, जहाँ हिमक्षेत्र, पर्वतीय हिमनदियाँ और हिमस्खलन निचली घाटियों की उन हिमनदियों का हिस्सा बनते हैं, जो हिमालय से निकलने वाली अधिकांश नदियों के स्रोत हैं। लेकिन हिमालय का बड़ा हिस्सा हिमरेखा के नीचे स्थित है। इस श्रेणी का निर्माण करने वाली पर्वत-निर्माण प्रक्रिया अब भी क्रियाशील है, जिसमें धाराओं के भारी अपरदन और विशाल भूस्खलन जैसी गतिविधियाँ भी शामिल हैं। हिमालय पर्वतश्रेणी को चार समानांतर, लंबवत, भिन्न चौड़ाई वाली पर्वत-पट्टिकाओं में विभक्त किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी भौगोलिक विशिष्टता तथा अपना अलग भूगर्भशास्त्रीय इतिहास है। इन्हें दक्षिण से उत्तर की ओर इस प्रकार बाँटा गया है- बाहरी या उप-हिमालय; लघु या निम्न हिमालय; उच्च या वृहत हिमालय; और टेथिस या तिब्बती हिमालय, इससे आगे उत्तर में तिब्बत में परा-हिमालय है, जो कुछ सुदूर उत्तरी हिमालयी श्रेणियों का पूर्व दिशा में विस्तार है। पश्चिम से पूर्व की ओर हिमालय को मोटे तौर पर तीन पर्वतीय क्षेत्रों में बाँटा गया है-
पश्चिमी
मध्यवर्ती
पूर्वी