Indian Geography Notes on “India’s climate”, “भारत की जलवायु” Geography notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

भारत की जलवायु

India’s climate

भारत में मानसूनी जलवायु पायी जाती है, क्योंकि यह मानसून पवनों के प्रभाव क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। फिर भी भारतीय जलवायु को दो प्रमुख तत्त्वों में सर्वाधिक प्रभावित किया है:-

उत्तर में हिमालय पर्वत की उपस्थिति, जिसके कारण मध्य एशिया से आने वाली शीतल हवाएँ भारत में नहीं आ पाती तथा भारतीय जलवायु महाद्रीपीय जलवायु का स्वरूप प्राप्त करती हैं।

दक्षिण में हिन्द महासागर की उपस्थिति एवं भूमध्य रेखा से समीपता, जिसके कारण, कटिबन्धीय जलवायु अपने आदर्श स्वरूप पायी जाती है, जिसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं: दैनिक तापांतर की न्यूनता, अत्यधिक आर्द्रता वाली वायु तथा सम्पूर्ण देश में न्यूनाधिक रूप में वर्षा का होना।

उल्लेखनीय है कि भारत की स्थिति भूमध्य रेखा के उत्तर में है एवं कर्क रेखा इसके मध्य भाग से होकर गुज़रती है। कर्क रेखा के दक्षिण वाला भाग उष्ण कटिबन्ध में आता है एवं हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर की समीपता के कारण यहाँ की जलवायु में एक प्रकार की समान्ता के दर्शन होता है। इस जलवायविक समानता में हिमालय पर्वत की जलवायु-अवरोधक के रूप में उपस्थिति भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्चावन सम्बन्धी विविधताएं, जल एवं स्थल का असमान वितरण, वनस्पति-आवरण एवं स्थिति ऐसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं, जो भारत की जलवायु को प्रभावित करके इसमें विभिन्नता उत्पन्न करते हैं। इस विविधता पर सर्वाधिक व्यापक प्रभाव शीत तथा ग्रीष्मकाल में परिवर्तित हो जाने वाली मानसून हवाओं का पड़ता है। लगभग सम्पूर्ण देश पर मानूसन पवनों का इतना स्पष्ट प्रभाव पड़ता है यहाँ वर्ष भर में चार प्रमुख ऋतुएँ पायी जाती हैं। मानूसन पवनों द्वारा समय-समय पर अपनी दिशा पूर्णतया परिवर्तित कर लेने के कारण ये ऋतुयें भी क्रमानुसार चक्रवत परिवर्तित होती रहती हैं। भारत में मिलने वाली चार प्रमुख ऋतुएं निम्नलिखित हैं:

शीत ऋतु (जनवरी-फरवरी)

ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मई)

वर्षा ऋतु या दक्षिण पश्चिमी मानसून का मौसम (जून-सितम्बर)

शरद ऋतु (अक्टूबर-दिसम्बर)

 

 

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