Indian Geography Notes on “Yamuna River”, “यमुना नदी” Geography notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

यमुना नदी

Yamuna River

लम्बाई (कि.मी.)     1375

उद्गम स्थान     यमुनोत्री ग्लेशियर

सहायक नदियाँ     चम्बल, बेतवा, केन, टोंस, गिरी, काली, सिंध, आसन

प्रवाह क्षेत्र (सम्बन्धित राज्य)     उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली

भारत की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा नदी के साथ की जाती है। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्त्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक ब्रज संस्कृति का संबंध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घ कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है। यमुना या कालिंदी नदी को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को श्रीकृष्ण की परम भक्त माना जाता है। गंगा ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है तो यमुना भक्ति की।

उद्गम

यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से हुआ है। यमुनोत्री उत्तरांचल में स्थित है। गंगा के समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है। इसकी एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल ज़िले में है। बड़ी ऊंची है, 20,731 फुट। इसे सुमेरु भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम ‘कलिंद’ है। यहीं से यमुना निकलती है। इसी से यमुना का नाम ‘कलिंदजा’ और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब ‘कलिंद की बेटी’ होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहाँ पहुंचना बहुत कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है। वहां इसके दर्शनार्थ हज़ारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारतवर्ष के कोने-कोने से पहुँचते हैं। ब्रजभाषा के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज गोवर्धन की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी काव्य – श्रद्धांजलि अर्पित न की हो। उनका यमुना स्तुति संबंधी साहित्य ब्रजभाषा भक्ति काव्य का एक उल्लेखनीय अंग है।

शास्त्रों में यमुना

शास्त्रों के अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन माना गया है। यमराज और यमुना दोनों का ही स्वरूप काला बताया जाता है जबकि यह दोनों ही परम तेजस्वी सूर्य की संतान है। फिर भी इनका स्वरूप काला है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी छाया थी, छाया दिखने में भयंकर काली थी इसी वजह से उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। यमुना से यमराज से वरदान ले रखा है कि जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। दीपावली के दूसरे दिन यम द्वितीया को यमुना और यमराज के मिलन बताया गया है। इसी वजह से इस दिन भाई-बहन के लिए ‘भाई दूज’ के रूप में मनाया जाता है।

ब्रज में यमुना

मथुरा में यमुना के 24 घाट हैं जिन्हें तीर्थ भी कहा जाता है। ब्रज में यमुना का महत्त्व वही है जो शरीर में आत्मा का, यमुना के बिना ब्रज और ब्रज की संस्कृति का कोई महत्त्व ही नहीं है।

पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे सहारे 95 मील का सफ़र कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाक़ा) पहुंचती है। फिर यह दिल्ली, आगरा से होती हुई इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है (कुल लम्बाई 1370 किलोमीटर या 852 मील), जो संगम के नाम से प्रसिद्ध है। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्त्वपूर्ण नदी है । जहां भगवान् श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे यमुना मैया कहना सर्वथा सार्थक है। भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दोआब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृति का गौरवशाली रूप बन सका था। जहां तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घकालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।

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