अमीर की अमीरता उसकी सोच और चरित्र से होती है धन से नहीं
Amir ki amirita uski soch aur charitra se hoti hai dhan se nahi
एक बार एक संत जंगल में ध्यानमग् न बैठे थे, वह आस पास की गतिविधियों से बिल्कुल बेख़बर होकर भगवान की तपस्या कर रहे थे | तभी वहाँ से एक अमीर आदमी गुज़रा और वो संत को देखकर बहुत प्रभावित हुआ |
जब संत ने आँखे खोली तो वह उनके आगे हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और अपने थेले से 1000 सोने के सिक्के निकाल कर बोला कि महाराज मेरी तरफ से ये सिक्के स्वीकार करें
मुझे उम्मीद है कि आप इनका उपयोग अच्छे कामों में ही करेंगे| संत उसे देखकर मुस्कुराए और बोले कि क्या तुम अमीर आदमी हो? वह बोला हाँ | संत ने कहा कि क्या तुम्हारे पास और धन है, वह बोला हाँ घर पे मेरे पास और बहुत सारा धन है मैं बहुत अमीर हूँ |
संत बोले की क्या तुम और ज़्यादा अमीर बनाना चाहते हो वह बोला हाँ मैं रोज भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे और धन दें मैं और अमीर हो जायूँ|
यह सुनकर संत ने उसे सिक्के वापस देते हुए कहा कि यह अपना धन वापस लो मैं भिखारी से कभी कुछ नहीं लेता| वह आदमी अपना अपमान सुनकर गुस्सा हो गया कि आप ये क्या बोल रहे हैं | संत बोले की मैं तो भगवान का भक्त हूँ मेरे पास सबकुछ है मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं लेकिन तुम तो रोज भगवान से धन माँगते हो तो अमीर तो मैं हू तुम तो भिखारी हो |
तो मित्रों, अमीर की दौलत उसका चरित्र होता है नाकी धन |