Motivational Story “Chanakya niti”,”चाणक्य नीति ” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

चाणक्य नीति

Chanakya niti

चाणक्य अपनी नीति शास्त्र के लिए जाने जाते थे | दूर दूर तक विदेशों में लोग उनकी नीतियों का लोहा मानते थे| यही सुनकर एक बार एक बार एक चीनी दर्शनिक चाणक्य से मिलने भारत आया| जब वह चाणक्य के घर उनसे मिलने पहुँचा तो उसने देखा की चाणक्य एक ग्रंथ लिखने में व्यस्त थे| उन दिनों बिजली या बल्व नहीं हुआ करते थे| चाणक्य ने तेल भारी डिबिया जला रखी थी और उसी की धीमी रोशनी में वो लिखने में व्यस्त थे |

चाणक्य ने जैसे ही आगंतुक को देखा| उन्होने जल्दी से अपना कार्य समाप्त किया और जो लेम्प अभी जल रही थी उसे बंद कर दी और एक नई लेम्प जला दी| दार्शनिक ने सोचा कि ये भारतीय लोगों का आगंतुक का सम्मान करने का कोई रिवाज़ होता होगा| उसने जिग्यसावश चाणक्य से पूछा की आप ने जलती लेम्प को बंद क्यूँ किया और फिर से नई लेम्प जलाने के पीछे क्या कारण है? क्या यह आपके धर्म में कोई रिवाज़ हैं? चाणक्य ने हस्ते हुए जवाब दिया नहीं श्रीमान यह कोई रिवाज़ या धर्म का हिस्सा नहीं था |

चाणक्य ने कहा कि मैं एक ग्रंथ का स्रजन कर रहा था और उस डिबिया के तेल का जो पैसा है वो मुझे राजकोष से मिला है लेकिन जब मैने लिखने का कार्य समाप्त किया तो उस डिबिया का जलना मेरे देश की संपत्ति का नाश है जो मैं नहीं सह सकता और जो दूसरी डिबिया में जो तेल है वो मेरी खुद की कमाई से खरीदा है| मैं अपने स्वम के कार्य के लिए देश की संपत्ति का हनन नहीं कर सकता|

इतना सुनकर चीनी दार्शनिक चाणक्य के आगे नतमस्तक हो गया कि धन्य है ये देश भारत जहाँ इतनी महान सोच वाले व्यक्ति रहते है| इसीलिए भारत को जगद गुरु कहने में कोई दोराय नहीं है|

अगर कोई इंसान चाणक्य के बताये हुए मार्ग पर चले तो उसे दुनियाँ की कोई भी परेशानी सफल होने से नहीं रोक सकती।

 

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