दिमाग की शक्ति
Dimag ki shakti
एक बार स्वामी विवेकानन्द के पास एक आदमी आया और पूछा – कि प्रभु! भगवान ने हर इंसान को एक ही जैसा बनाया है फिर भी कुछ लोग अच्छे होते हैं , कुछ बुरे , कुछ सफल होते हैं , कुछ असफल ऐसा क्यों ?
स्वामी जी निम्रतापूर्वक कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ, ध्यान से सुनो – कहा जाता है कि ये धरती रत्नगर्भा है यहाँ जन्म लेने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं । एक बार है कि देवी देवताओं की सभा चल रही थी कि इंसान इतना विकसित कैसे है ? कैसे वह इतने बड़े बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है ? ऐसी कौन सी शक्ति है जिसके दमपर इंसान असंभव को संभव कर डालता है ।
सारे देवी देवता अपने अपने विचार रख रहे थे कोई बोल रहा था कि समुद्र के नीचे कुछ ऐसा है वो इंसान को आगे बढ़ने को प्रेरित करता है , कोई बोल रहा था कि पहाड़ों की चोटी पर कुछ है ।
अंत में एक बुद्धिमान ने जवाब दिया कि इंसान का दिमाग ही ऐसी चीज़ है जो उसे हर कार्य करने की शक्ति देती है ।
मानव का दिमाग एक बहुत अदभुत चीज़ है जो इंसान इसकी शक्ति को पहचान लेता है वह कुछ भी कर गुजरता है उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है और जो लोग दिमाग की ताकत का प्रयोग नहीं करते वो लोग जीवन भर संघर्ष ही करते रह जाते हैं । हर इंसान की जय और पराजय उसके दिमाग के काम करने की क्षमता पर ही निर्भर है । ये दिमाग ही वो दैवीय शक्ति है जो एक सफल और असफल इंसान में फर्क पैदा करती है । सारे देवी देवता इस जवाब से बड़े प्रसन्न हुए ।
स्वामी जी ने आगे कहा – आप जैसा सोचते हैं , आप वैसे ही बन जायेंगे , आप खुद को कमजोर मानेंगे तो कमजोर बन जाओगे , खुद को शक्तिशाली मानोगे तो शक्तिशाली बन जाओगे। यही फर्क है एक सफल और असफल इंसान में