जबतक जीवन है सुख दुःख चलता रहेगा
Jabtak jeevan ha such dukh chalta rahega
बात उन दिनों की है जब महात्मा बुद्ध, विश्व में भृमण करते हुए लोगों को ज्ञान बाँटा करते थे और बौद्ध धर्म का प्रचार किया करते थे। एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक वृक्ष नीचे ध्यान मुद्रा में बैठे थे।
अचानक एक बूढी औरत वहाँ रोती – बिलखती हुई आई और गौतम बुद्ध के चरणों में गिर पड़ी। और बोली – महात्मा जी मैं दुनियाँ की सबसे दुखी औरत हूँ, मैं अपने जीवन से बहुत परेशान हूँ।
महात्मा बुद्ध – क्या हुआ? आप क्यों दुःखी हैं?
बूढी औरत- भगवन, मेरा एक ही पुत्र था जो मेरे बुढ़ापे का एकमात्र सहारा था। कल रात तीव्र बुखार से उसकी मृत्यु हो गयी, उसके बाद मेरे ऊपर जैसे दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मैं बहुत दुःखी हूँ, ईश्वर ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? अब मैं किसके सहारे जीऊँगी?
महात्मा बुद्ध – हे माता! मैं आपके दुःख को समझ सकता हूँ। पहले आप मुझे किसी ऐसे घर से एक मुट्ठी चावल लाकर दें, जिस घर में कभी किसी की मृत्यु ना हुई हो। फिर मैं आपकी समस्या का हल बताऊँगा।
औरत धीमे क़दमों से गाँव की ओर चल पड़ी। पूरे दिन वो इधर से उधर सभी लोगों के घर में भटकती रही लेकिन उसे कहीं ऐसा घर नहीं मिला जहाँ कभी किसी की मृत्यु ना हुई हो और जहाँ कोई दुःख ना हो। हर कोई अपने दुःखों से परेशान था सबके पास अपनी एक अलग समस्या थी। शाम को वह औरत फिर से महात्मा बुद्ध के पास पहुँची। औरत को खाली हाथ लौटा देखकर बुद्ध ने कहा-
गौतम बुद्ध – हे माता! क्या हुआ? आप खाली हाथ क्यों लौटी हैं?
बूढी औरत – महात्मा जी, मैं पूरे गाँव में घूम आई लेकिन मुझे एक भी घर ऐसा नहीं मिला जहाँ कभी किसी की मृत्यु ना हुई हो। सभी लोगों के पास अपना अलग दुःख था।
गौतम बुद्ध – माता जी यही बात मैं आपको बताना चाहता था कि इस दुनियाँ में हर कोई दुखी है, सबके पास दुःख का एक अलग कारण है। आप ये मत सोचिये कि भगवान ने आपके साथ कुछ गलत किया है। जब तक जीवन है सुख -दुःख चलता ही रहेगा। जैसे दिन के बाद रात जरूर आती है, और फिर रात के बाद दिन ठीक वैसे ही सुख के बाद दुःख आएगा और फिर दुःख के बाद सुख। सुख और दुःख जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। केवल वही इंसान दुःख से बच सकता है जिसे सुख की चाह ना हो।
दोस्तों महात्मा बुद्ध का ये प्रेरक प्रसंग दिल में एक गहरी छाप छोड़ता है। जब भी आप दुखी हों तो ये कभी ना सोचें कि भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, क्यूंकि शायद आप नहीं जानते कि इस दुनियाँ में आप से भी ज्यादा दुखी लोग हैं। आपकी समस्याओं से भी बड़ी समस्या लोगों के पास हैं। दुःख तो जीवन का एक हिस्सा हैं आप उनको छोड़ ही नहीं सकते। तो किसी भी समस्या से डरें नहीं, घबरायें नहीं। अँधेरी रात के बाद सूर्योदय जरूर होता है ये प्रकर्ति का नियम है, आपके भी दुःख एक दिन खत्म हो जायेंगे और फिर से सुखमय मुस्कुराता सूर्योदय होगा। बस हंस कर जियें मुस्कुरा कर जियें और खुशियाँ बाँटते चलें।