कुरूपता को अच्छे कामों की सुन्दरता ही दूर कर सकती है.
Kurupta ko acche kamo ki sundarta hi door kar sakti hai
सुकरात बहुत कुरूप थे। फिर भी वे सदा दर्पण पास रखते थे और बार-बार मुँह देखते रहते थे।
एक मित्र ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और कारण पूछा- तो उन्होंने कहा- ‘सोचता यह रहता हूँ कि इस कुरूपता का प्रतिकार मुझे अधिक अच्छे कामों की सुन्दरता बढ़ाकर करना चाहिए। इस तथ्य को याद रखने में दर्पण देखने से सहायता मिलती है।’
इस संदर्भ में एक दूसरी बात, सुकरात ने कही- ‘जो सुन्दर हैं, उन्हें भी इसी प्रकार बार-बार दर्पण देखना चाहिए और सोचना चाहिए कि इस ईश्वर प्रदत्त सौंदर्य में कहीं दुष्कृतों के कारण दाग धब्बा न लग जाय।’
हमें भी समय समय पर अपनी कमियों का निरिक्षण करना चाहिए और उन कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। ठीक इसी तरह हमें अपनी ताकतों को भी पहचान कर उसे और सुदृढ़ करने का प्रयास करते रहना चाहिए तभी हम अपने आप को संतुलित व सफल बनाये रखने में कामियाब होते रहेंगे।