साधू का नाच
Sadhu ka nach
हरीश एक गाँव का पला बढ़ा इंसान था। मन में आगे बढ़ने की उमंग थी, कुछ अच्छा करने का उत्साह था तो घर वालों से जिद करके पढाई(High Education in College) के लिए शहर चला गया। हरीश यूँ तो शुरुआत से ही अव्वल दर्जे का छात्र रहा था, कॉलेज से भी अच्छे नंबरों से पास हुआ। एक अच्छी कंपनी में नौकरी(Job) भी मिल गयी थी। करीब 4-5 साल बाद हरीश गाँव लौटा तो देखा आज भी लोगों में वही प्यार और स्नेह की भावना थी।
गाँव के लोग हरीश इंजिनियर बाबू(Engineer) कहकर बुलाते थे, ये सुनकर हरीश कहीं ना कहीं मन में सम्मान महसूस करता था। कुछ दिन गाँव में रहा तो हरीश को किसी ने बताया कि गाँव में कोई साधु बाबा आये हैं वो जब भी नाचते हैं बारिश होने लगती है। सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ, हँसी भी आई, हरीश विज्ञानं का छात्र था और वो जानता था कि ऐसा कोई जादू संभव ही नहीं है। उसे लगा कि ये बाबा भोले गाँव वालों को बेवकूफ बना रहा है। यही सोचकर वह बाबा से मिलने गया।
हरीश ने जाकर बाबा को चेलेंज कर दिया कि आपके पास कोई जादू नहीं है, अगर आपके नाचने से बारिश हो सकती है तो मेरे नाचने से भी जरूर होगी। कुछ गाँव वाले भी देखने के लिए इकट्ठे हो गए। हरीश ने नाचना शुरू किया, नाचते हुए बार बार आसमान की ओर देखता लेकिन बारिश नहीं हुई, हरीश थोड़ी देर में ही थककर चूर हो गया। अब बाबा की बारी थी। बाबा ने नाचना शुरू किया, और नाचते ही रहे घंटों बहुत देर तक, अभी तक बारिश नहीं हुई थी। बाबा भी लगातार नाचे जा रहा था, काफी देर बाद आसमान में बादल छाने लगे, बाबा नाचते हुए थका नहीं बल्कि घंटो नाचता रहा। कुछ देर बाद बादल जमकर बरसे, घनघोर बारिश हुई।
हरीश शर्म से सर झुकाकर बाबा से इस जादू के बारे में पूछने लगा। बाबा ने कहा- बेटा ये कोई जादू नहीं है, नाहीं ये कोई कला है, ये तो बस एक दृंढ निश्चय है। मैं जब भी नाचता हूँ तो दो बात का ध्यान रखता हूँ। पहला मैं मन में खुद को विश्वास दिलाता हूँ कि अगर मैं नाचूँगा तो बारिश जरूर होगी और दूसरा अगर बारिश नहीं हुई तो मैं जब तक नाचूँगा, तब तक बारिश ना हो जाये। बस यही इस बारिश और नाच का राज है।
हरीश को अपनी सारी डिग्रियाँ आज इस ज्ञान के आगे कमजोर नजर आ रहीं थी। विज्ञानं(Science) की किताबें तो बहुत पढ़ी पर जीवन के इस अनमोल ज्ञान का अनुभव पहले कभी नहीं किया था।
मित्रों आप भी जब कोई नए काम की शुरुआत करें तो मन में खुद पे विश्वास रखें कि आप सफल जरूर होंगे और सफल नहीं हुए तो तब तक प्रयास करते रहेंगे जब तक सफल हो ना जाएँ। बस यही हर सफलता का मन्त्र है। कोई काम असंभव नहीं है आपकी सोच और प्रयास से ही असंभव को संभव किया जा सकता है।