क्रम – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Kram -Ashok Chakradhar एक अंकुर फूटा पेड़ की जड़ के पास । एक किल्ला फूटा फुनगी पर । अंकुर बढ़ा …
What goes around comes around One day a man saw an old lady, stranded on the side of the road, but even in the dim light of day, he …
माशो की माँ – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Masho ki maa -Ashok Chakradhar नुक्कड़ पर माशो की माँ बेचती है टमाटर । चेहरे पर जितनी झुर्रियाँ …
ठेकेदार भाग लिया – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Thekedar Bhag liya -Ashok Chakradhar फावड़े ने मिट्टी काटने से इंकार कर दिया और बदरपुर पर जा बैठा …
A Glass of Milk, Paid in Full One day, a poor boy who was selling goods from door to door to pay his way through school, found he had …
मेमने ने देखे जब गैया के आंसू – अशोक चक्रधर Memne ne dekhe jab geya ke aansu -Ashok Chakradhar (खेल में मग्न बच्चों को घर की सुध नहीं रहती) …
My mom only had one eye My mom only had one eye. I hated her she was such an embarrassment. She cooked for students and teachers to support the …
आलपिन कांड – अशोक चक्रधर Aalpin kand -Ashok Chakradhar बंधुओ, उस बढ़ई ने चक्कू तो ख़ैर नहीं लगाया पर आलपिनें लगाने से बाज़ नहीं आया। ऊपर चिकनी-चिकनी रैक्सीन …