मैं दिल्ली हूँ – रामावतार त्यागी Mein dilli hu -Ramavtar Tyagi मैं दिल्ली हूँ मैंने कितनी, रंगीन बहारें देखी हैं। अपने आँगन में सपनों की, हर ओर कितारें …
ज़िंदगी एक रस – रामावतार त्यागी Zindagi ek ras -Ramavtar Tyagi ज़िंदगी एक रस किस क़दर हो गई एक बस्ती थी वो भी शहर हो गई घर की …
तुमने हाँ जिस्म तो – रामावतार त्यागी Tumne ha jism to -Ramavtar Tyagi तुमने हाँ जिस्म तो आपस में बंटे देखे हैं क्या दरख्तों के कहीं हाथ कटे …
तन बचाने चले थे – रामावतार त्यागी Tan bachane chale the -Ramavtar Tyagi तन बचाने चले थे कि मन खो गया एक मिट्टी के पीछे रतन खो गया …
आँचल बुनते रह जाओगे – रामावतार त्यागी Aanchal bunte rah jaoge -Ramavtar Tyagi मैं तो तोड़ मोड़ के बंधन अपने गाँव चला जाऊँगा तुम आकर्षक सम्बन्धों का, आँचल …
चाँदी की उर्वशी न कर दे – रामावतार त्यागी Chandi ki urvashi na kar de -Ramavtar Tyagi चाँदी की उर्वशी न कर दे युग के तप संयम को …
हारे थके मुसाफिर के – रामावतार त्यागी Har thake musafir ke -Ramavtar Tyagi हारे थके मुसाफिर के चरणों को धोकर पी लेने से मैंने अक्सर यह देखा है …
जा पास मौलवी के – रामावतार त्यागी Ja pas molvi ke -Ramavtar Tyagi जा पास मौलवी के या पूछ जोगियों से। सूराख पत्थरों में होते न उँगलियों से …