कौन जाने? – बालकृष्ण राव Kaun nane – Balkrishan Rao झुक रही है भूमि बाईं ओर, फ़िर भी कौन जाने? नियति की आँखें बचाकर, आज धारा दाहिने बह …
अर्जुन-कृष्ण युद्ध एक बार महर्षि गालव जब प्रात: सूर्यार्घ्य प्रदान कर रहे थे, उनकी अंजलि में आकाश मार्ग में जाते हुए चित्रसेन गंधर्व की थूकी हुई पीक गिर गई| …
नदी को रास्ता किसने दिखाया ? – बालकृष्ण राव Nadi ko rasta kisne dikhaya – Balkrishan Rao नदी को रास्ता किसने दिखाया? सिखाया था उसे किसने कि अपनी …
फिर क्या होगा उसके बाद – बालकृष्ण राव Fir Kya hoga uske baad – Balkrishan Rao फिर क्या होगा उसके बाद? उत्सुक होकर शिशु ने पूछा, “माँ, क्या …
आज ही होगा – बालकृष्ण राव Aaj hi hoga – Balkrishan Rao मनाना चाहता है आज ही? -तो मान ले त्यौहार का दिन आज ही होगा! उमंगें यूँ …
गरमियों की शाम – बालकृष्ण राव Garmiyo ki sham – Balkrishan Rao आँधियों ही आँधियों में उड़ गया यह जेठ का जलता हुआ दिन, मुड़ गया किस ओर, …
लू – अजय कृष्ण Loo -Ajay Krishan मुझे लू पसन्द है। वह मई-जून वाली आग मुझे पागल कर देती है । वह जितनी तेज़ हो, गरम हो, लहक …
अंतडि़यां ऐंठकर नचती – अजय कृष्ण Antadiya Enthkar Nachti -Ajay Krishan अंतडि़यां ऐंठकर नचती खाली पेट गड़गड़ तपते रेगिस्तान से गुड़गुड़ाते प्यासे नल की तरह, कण्ठ सूखा मुँह …