एक फ़िल्मी कवि से -अग्निशेखर Ek Film Kavi Se -Agnishekhar देखो, कुछ देर के लिए सोने दो मेरे रिसते घावों को अभी-अभी आई है मेरे प्रश्नों को नींद …
धूल -अग्निशेखर Dhul -Agnishekhar जब हमें दिखाई नहीं देती पता नहीं कहाँ रहती है उस समय और जब हम एक धुली हुई सुबह को जो खुलती है हमारे …
स्मृति लोप -अग्निशेखर Smriti Lop -Agnishekhar तरह-तरह से आ रही थी मृत्यु ख़त्म हो रही थीं चीज़ें गायब हो रही थीं स्मृतियाँ पेड़ों से झर रहे थे नदी …
सत्याग्रही पेड़ -अग्निशेखर Satyagrahi ped -Agnishekhar कभी जमा होते थे कांकेर की खंडी नदी के किनारे तुम्हारी छाँव में स्वतन्त्रता सेनानी तुम उनका पसीना पोंछते योजनाएँ सुनते हौंसला …
केन पर भिनसार -अग्निशेखर Ken par bhinsar -Agnishekhar बीच पुल पर खड़ा मैं अवाक ओस भीगी नीरवता में बांदा के आकाश का चन्द्रमा हो रहा विदा केन तट …
The Smell of Rain A cold March wind danced around the dead of night in Dallas as the Doctor walked into the small hospital room of Diana Blessing. Still …
कवि और खजुराहो -अग्निशेखर Kavi Aur Khajuraho -Agnishekhar लहकती सरसों और आम्र-मंजरियों से होकर हमने मोटरबाईक पर दौड़ते छोड़ दिए पीछे गाय-बकरियों को चराते लोग खेत काटतीं पसीना …
कांगड़ी -अग्निशेखर Kangadi -Agnishekhar जाड़ा आते ही वह उपेक्षिता पत्नी सी याद आती है अरसे के बाद हम घर के कबाड़ से उसे मुस्कान के साथ निकाल लाते …