Hindi Poem of Ghalib “masti b-zok-e-ghaflat-e-saakki halak hai , “मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है – ग़ालिब masti b-zok-e-ghaflat-e-saakki halak hai -Ghalib मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है मौज-ए-शराब यक-मिज़ा-ए-ख़्वाब-नाक है जुज़ ज़ख्म-ए-तेग़-ए-नाज़ नहीं दिल में आरज़ू जेब-ए-ख़याल भी तिरे हाथों से …

Hindi Poem of Ghalib “Bim-e-rakeeb se nahin karte vida-e-hosh , “बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश – ग़ालिब Bim-e-rakeeb se nahin karte vida-e-hosh -Ghalib बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश मजबूर याँ तलक हुए ऐ इख़्तियार हैफ़ जलता है दिल कि …

Hindi Poem of Ghalib “barshkal-e-girya-aashiq hai dekha chahiye, “बर्शकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बर्शकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए – ग़ालिब barshkal-e-girya-aashiq hai dekha chahiye -Ghalib   बर्शकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए खिल गई मानिंद-ए-गुल सौ जा से दीवार-ए-चमन उल्फ़त-ए-गुल से ग़लत है दावा-ए-वारस्तगी सर्व …

Hindi Poem of Ghalib “B-nala hasil-e-bastgi faraham kar, “ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर – ग़ालिब B-nala hasil-e-bastgi faraham kar -Ghalib   ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर मता-ए-ख़ाना-ए-ज़ंजीर जुज़ सदा मालूम ब-क़द्र-ए-हौसला-ए-इश्क़ जल्वा-रेज़ी है वगरना ख़ाना-ए-आईना की फ़ज़ा मालूम ‘असद’ …

Hindi Poem of Ghalib “Hain bazam-e-buta mein sukhan Aajurda lambo se , “है बज़्म-ए-बुतां में सुख़न आज़ुर्दा लबों से” Complete Poem for Class 10 and Class 12

है बज़्म-ए-बुतां में सुख़न आज़ुर्दा लबों से – ग़ालिब Hain bazam-e-buta mein sukhan Aajurda lambo se -Ghalib   है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से तंग आए हैं हम ऐसे …

Hindi Poem of Ghalib “Faring mujhe na jaan ki munind-e-subah-o-mehar , “फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर – ग़ालिब Faring mujhe na jaan ki munind-e-subah-o-mehar -Ghalib फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर है दाग़-ए-इश्क़ ज़ीनत-ए-जेब-ए-कफ़न हुनूज़ है नाज़-ए-मुफ़्लिसाँ ज़र-ए-अज़-दस्त-रफ़्ता पर …