कैसे गीत प्रणय के गाये – राकेश खंडेलवाल Kaisa geet pranaya ke gaye – Rakesh Khandelwal ये अम्बर पर घिरी घटाओं में घुलते यादों के साये ऐसे में …
अंतिम गीत – राकेश खंडेलवाल Antim geet – Rakesh Khandelwal विदित नहीं लेखनी उंगलियों का कल साथ निभाये कितना इसीलिये मैं आज बरस का अंतिम गीत लिखे जाता …
कितनी और उम्र बाकी है – राकेश खंडेलवाल Kitni aur umar baki hai – Rakesh Khandelwal हर मौसम फ़ागुन के रंगों में रंग लिया भावनाऒ ने एक तुम्हारी …
लेकिन संबोधन पर – राकेश खंडेलवाल Lekin sambodhan par – Rakesh Khandelwal सोचा मैने लिखूँ तुम्हें इक पत्र ह्रदय के भावों वाला लेकिन संबोधन पर आकर अटकी रही …
कल्पना के चित्र मेरे – राकेश खंडेलवाल Kalpna ke chitra mere – Rakesh Khandelwal बढ़ रहे हैं हर डगर में आजकल कोहरे घनेरे और धुंधले हो रहे हैं …
रात ने जो बाँसुरी छेड़ी – राकेश खंडेलवाल Raat ne jo bansuri chodi – Rakesh Khandelwal रागिनी उल्लास के रह रह सुमन चुनने लगी है रात ने जो …
ढाई अक्षर दूर – राकेश खंडेलवाल Dhai akshar door – Rakesh Khandelwal भटक गया हरकारा बादल, भ्रमित कहाँ, मैं सोच रहा मेरे घर से ढाई अक्षर दूर तुम्हारा …
ग्रहण कोई लग न पाये – राकेश खंडेलवाल Grahan koi lag na paye – Rakesh Khandelwal अर्चना की दीप तो तूने जलाया है उपासक देखना अब वर्तिका पर …