शंख ने गूँज कर शब्द नभ पर लिखा – राकेश खंडेलवाल Shankh ne goonj kar shabd nabh par likha – Rakesh Khandelwal एक अंकुर हुआ भोर का प्रस्फ़ुटित …
अनुत्तरित प्रश्न – राकेश खंडेलवाल Anuttarit prashan – Rakesh Khandelwal जो अनुत्तरित रहा अभी तक, तुमने फिर वह प्रश्न किया है अब मैं उत्तर की तलाश में निशि …
हम किसको परिचित कह पाते – राकेश खंडेलवाल Hum Kisko parichit kah pate – Rakesh Khandelwal हम अधरों पर छंद गीत के गज़लों के अशआर लिये हैं स्वर …
महंगा पड़ा मायके जाना – राकेश खंडेलवाल Mehanga pda mayke jana – Rakesh Khandelwal तुमने कहा चार दिन, लेकिन छह हफ्ते का लिखा फसाना सच कहता हूँ मीत, …
प्यार की पाती – राकेश खंडेलवाल Pyar ki pati – Rakesh Khandelwal लिखी है पाँखुरी पर ओस से जो भोर ने आकर तुम्हारे नाम भेजी थी वो मैने …
गंध की परछाईयाँ – राकेश खंडेलवाल Gandh ki parchaiya – Rakesh Khandelwal गंध की परछाईयों के बन के अनुचर रह गये हम अब नही संभव रहा हम राह …
गीत तो मेरे अधर पर – राकेश खंडेलवाल Geet to mere adhar par – Rakesh Khandelwal गीत तो मेरे अधर पर रोज ही मचले सुनयने पर तुम्हारे स्पर्श …
दहलीज का पत्थर – राकेश खंडेलवाल Dahleej ka pathar – Rakesh Khandelwal शुक्रिया, दहलीज का पत्थर मुझे तुमने बनाया है सुनिश्चित अब तुम्हारे पांव की रज पा सकूँगा …