गीत तेरे होंठ पर – राकेश खंडेलवाल Geet rete honth par – Rakesh Khandelwal गीत तेरे होंठ पर खुद ही मचलने लग पड़ें आ इसलिये हर भाष्य को …
आस्था – राकेश खंडेलवाल Aastha – Rakesh Khandelwal हमने सिन्दूर में पत्थरों को रँगा मान्यता दी बिठा बरगदों के तले भोर, अभिषेक किरणों से करते रहे घी के …
जैसे छंद गीत में रहता – राकेश खंडेलवाल Jaise chand geet mein rehta – Rakesh Khandelwal जैसे छंद गीत में रहता, मंदिर में रहता गंगाजल मीत बसे हो …
होली – राकेश खंडेलवाल Holi – Rakesh Khandelwal न बजती बाँसुरी कोई न खनके पांव की पायल न खेतों में लहरता है किसी का टेसुआ आँचल् न कलियां …
याद की प्रतीक्षा – राकेश खंडेलवाल Yaad ki pratiksha – Rakesh Khandelwal धुंध में डूबी हुई एकाकियत बोझिल हुई है मैं किसी की याद की पल पल प्रतीक्षा …
इक गीत लिखूँ – राकेश खंडेलवाल Ek geet likhu – Rakesh Khandelwal बहुत दिनों से सोच रहा हूँ कोई गीत लिखूँ इतिहासों में मिले न जैसी, ऐसी प्रीत …
यादों के दीपक – राकेश खंडेलवाल Yado ke deepak – Rakesh Khandelwal सिरहाने के तकिये में जब ओस कमल की खो जाती है राह भटक कर कोई बदली, …
फिर कहाँ संभव रहा अब गीत कोई गुनगुनाऊँ – राकेश खंडेलवाल Fir kaha sambhav raha ab geet koi gungunau – Rakesh Khandelwal भोर की हर किरन बन कर …