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झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान Jhainsi Ki Rani – Subhadra Kumari Chauhan सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से …
तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Tum Hamare Ho – Suryakant Tripathi “Nirala” नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हुए दिन बीते । उठा तो पर न …
संध्या सुन्दरी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Sandhya sundari – Suryakant Tripathi “Nirala” दिवसावसान का समय – मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या-सुन्दरी, परी सी, धीरे, धीरे, धीरे, …
नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Nayano ke dore laal-gulal bhare – Suryakant Tripathi “Nirala” नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे, खेली होली ! जागी रात सेज प्रिय …
खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Khula Aasman – Suryakant Tripathi “Nirala” बहुत दिनों बाद खुला आसमान! निकली है धूप, खुश हुआ जहान! दिखी दिशाएँ, झलके पेड़, चरने को चले …
मद भरे ये नलिन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Mad Bhare ye nalin – Suryakant Tripathi “Nirala” मद – भरे ये नलिन – नयन मलीन हैं; अल्प – जल में या …
गहन है यह अंधकार -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Gahan hai yah andhkar – Suryakant Tripathi “Nirala” गहन है यह अंधकार; स्वार्थ के अवगुंठनों से, हुआ है लुंठन हमारा। खड़ी है …