The Croc and The Monkey Vishnu Sarma begins his fourth Tantra with the following stanza: “He overcomes all problems Who does not lose his cool Even in the face …
प्रिय चिरन्तन है -महादेवी वर्मा Priy Chintan hai – Mahadevi Verma प्रिय चिरंतन है सजनि, क्षण-क्षण नवीन सुहासिनी मै! श्वास में मुझको छिपाकर वह असीम विशाल चिर घन …
मैं नीर भरी दुख की बदली! -महादेवी वर्मा Mein Neer bhari dukh ki badli – Mahadevi Verma मैं नीर भरी दुख की बदली! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा …
Frogs That Rode a Snake A black snake named Mandavishya lived in a forest on the Varuna hills. He was becoming old and worried that he would not be …
क्या पूजन -महादेवी वर्मा Kya Pujan – Mahadevi Verma क्या पूजन, क्या पूजन क्या अर्चन रे! उस असीम का सुंदर मंदिर, मेरा लघुतम जीवन रे, मेरी श्वासें करती …
Tale of The Golden Droppings On a big tree in the lap of a mountain lived a bird named Sindhuka. His droppings used to turn into gold as soon …
क्यों इन तारों को उलझाते? -महादेवी वर्मा Kyo In Taro ko Uljhata – Mahadevi Verma क्यों इन तारों को उलझाते? अनजाने ही प्राणों में क्यों, आ आ कर …
मैं अनंत पथ में लिखती जो -महादेवी वर्मा Mein Anant path Mein Likhit Jo – Mahadevi Verma मै अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बाते उनको …