याद -सुमित्रानंदन पंत Yaad – Sumitranand Pant विदा हो गई साँझ, विनत मुख पर झीना आँचल धर, मेरे एकाकी आँगन में मौन मधुर स्मृतियाँ भर! वह केसरी दुकूल अभी …
ग्राम श्री -सुमित्रानंदन पंत Gram Shri – Sumitranand Pant फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली ! …
जीना अपने ही में -सुमित्रानंदन पंत Jeena apne hi mein – Sumitranand Pant जीना अपने ही में एक महान कर्म है, जीने का हो सदुपयोग यह मनुज धर्म …
चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत Chandni -Sumitranand Pant नीले नभ के शतदल पर वह बैठी शरद-हंसिनि, मृदु-करतल पर शशि-मुख धर, नीरव, अनिमिष, एकाकिनि! वह स्वप्न-जड़ित नत-चितवन छू लेती अंग-जग का मन, …
Poor Man’s Wealth Ramchand and Premchand were neighbours. Ramchand was a poor farmer. Premchand was a landlord. Ramchand used to be very relaxed and happy. He never bothered to …
मछुए का गीत -सुमित्रानंदन पंत Machue ka Geet – Sumitranand Pant प्रेम की बंसी लगी न प्राण! तू इस जीवन के पट भीतर कौन छिपी मोहित निज छवि पर? …
The Boy Who Became a Stone One day a little boy named Elonen sat out in the yard making a bird snare, and as he worked, a little bird …
मैं सबसे छोटी होऊँ -सुमित्रानंदन पंत Mein Sabse choti houn – Sumitranand Pant मैं सबसे छोटी होऊँ, तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ! तेरे साथ, …