मेक इन इंडिया योजना
Make in India Yojana
इसके अलावा भी बहुत सी योजनायें मोदी जी के द्वारा शुरू की गई है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई मेक इन इंडिया, इसकी मंशा देश भर की बड़ी कंपनियों को भारत देश में इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना है. मोदी जी की इस योजना को 25 सितम्बर 2014 को लांच किया गया था. वैसे मेक इन इंडिया आईडिया की बात मोदी जी ने सबसे पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद, जब वो पहली बार स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे और लाल किले में उन्होंने झंडा फहराया था, तब अपने भाषण की थी. अपनी बात के पक्के मोदी जी ने 1 महीने बाद ही इस योजना पर कैबिनेट की सहमति इकट्ठी कर ली थी, और इसे दुनिया के सामने ले आये थे. योजना के लागु होते ही अमेरिका व् चाइना से हमें बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. भारतीय विदेशी निवेश को FDI (foreign direct investment) द्वारा 2015 में 63 बिलियन डॉलर मिले थे.
मेक इन इंडिया की शुरुवात
नरेन्द्र मोदी जी ने इस प्रोग्राम की शुरुवात 25 सितम्बर 2014 को विज्ञान भवन में की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों की रोजमर्रा में उपयोग किया जाने वाले समान का निर्माण इंडिया में ही हो. इस योजना को सबको समझाने के लिए ओद्योगिक निति व् विकास विभाग द्वारा 29 दिसम्बर 2014 को एक वर्कशॉप आयोजित की गई थी, जिसमें स्वयं नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुए, इनके साथ उनके कैबिनेट मंत्री, सभी राज्यों के मुख्य सचिव व् बड़ी बड़ी इंडस्ट्री के लीडर भी शामिल थे. योजना का मुख्य उद्देश देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले 25 क्षेत्रों में बदलाव लाना है. योजना के तहत इसमें रोजगार बढेंगें, जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या दूर होगी, साथ ही इन क्षेत्र में कौशल विकास होगा, जिससे देश विदेश में सभी बड़े निवेशकों का ध्यान हमारी ओर केन्द्रित होगा.
मेक इन इंडिया योजना के मुख्य उद्देश्य
ज्यादा से ज्यादा समान भारत में बने, जिससे समान की कीमत कम होगी और बाहर निर्यात होने देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.
देश में रोजगार बढ़ेगा, गरीबी कम होगी.
उच्च गुड़वत्ता का समान कम कीमत पर मिलेगा.
दुसरे मुल्क के निवेशक हमारे यहाँ आकर पैसा लगायेंगें, जिससे देश में बाहर से पैसा आएगा. साथ ही देश का नाम दुनिया में प्रसिध्य होगा.
देश के नौजवानों को अपनी सोच सबको बनाने का मौका मिलेगा.
देश के नौजवान विदेश में जाकर काम करने की जगह, यही रहकर काम करना पसंद करेंगें.
मेक इन इंडिया को मिलने वाला रिस्पांस –
सितम्बर 2014 जब से योजना की शुरुवात हुई है, तब से नवम्बर 2015 तक भारत सरकार को दुनिया भर की ढेरों इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ने प्रोपोसल भेजे है, जो भारत में काम शुरू करना चाहती है. आकड़ों के अनुसार 1.20 लाख करोड़ रूपए भारत सरकार को ये बाहरी कंपनियों के द्वारा मिले है. अप्रैल-जून 2015 में भारत में बनाये गए 24.8% स्मार्टफोन का निर्यात दुसरे देशों में किया गया था.
दुनिया भर में आजकल इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट की बहुत मांग है. भारत देश में टैलेंट की कमी नहीं है, यहाँ आजकल नौजवान खुद का काम शुरू कर नई नई खोज कर रहे है. प्रधानमंत्री मोदी चाहते है कि 2020 तक देश में एक चमत्कारी विकास हो जाये, जिससे 2020 तक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का मुख्य हब बन जाये. सरकार ये पूरी कोशिश कर रही है और उन्होंने एक टारगेट रखा है कि 2020 तक भारत विदेश से जीरो इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का आयात करे. मतलब 2020 तक देश इस काबिल बन जाये कि इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स के लिए हमें दुसरे देशों का मुहं न देखना पड़े, देश इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया में खुद अपने पैरों पर खड़े हो जाये. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर अविस्मरणीय फायदा होगा. मेक इन इंडिया कैम्पेन को मिलने वाला रिस्पांस कुछ इस प्रकार है –
जनवरी 2015 को स्पाइस मोबाइल कंपनी के मालिक ने उत्तर प्रदेश के साथ डील करके वहां अपने मोबाइल फ़ोन बनाने की कंपनी डाली.
जनवरी 2015 में ही सैमसंग मोबाइल कंपनी के सीईओ ह्यून चिल होन्ग MSME के मंत्री कलराज मिश्रा से मिले थे, उन्होंने साथ में काम करने की बात कही थी और नॉएडा में इसके प्लांट की बात भी कही थी.
फ़रवरी 2015 में हिताची ने भी भारत में निवेश की बात कही और कहा वे चेन्नई में अपना सेटअप लगा सकते है.
फ़रवरी 2015 में HUAWEI ने बैगलुरु में अपना रिसर्च व् डेवलोपमेंट कैंपस open किया. इसके साथ ही उन्होंने टेलिकॉम हार्डवेयर प्लांट चेन्नई में बनाने की बात कही, जिसे चेन्नई सरकार से अप्रूवल दे दिया.
फ़रवरी 2015 में XIAOMI मोबाइल कंपनी ने आंधप्रदेश सरकार के सामने साथ काम करने का प्रस्ताव रखा.
अगस्त 2015 में लेनोवो ने कहा कि उसके मोटोरोला के मोबाइल फ़ोन चेन्नई के पास प्लांट में बनने शुरू हो गए है.
दिसम्बर 2015 में vivo मोबाइल कंपनी ने नॉएडा में अपने मोबाइल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया. जिसमें 2200 लोगों को काम पर रखा गया.
इसके साथ ही बहुत सी विदेश कंपनियों ने सरकार को अपने प्लान्स भेजे, और साथ करने का प्रस्ताव भेजा. दिसम्बर 2015 में जापान के प्रधानमंत्री भारत दौरे में थे, उन्होंने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के लिए जापान की तरह से 12 लाख करोड़ का फण्ड दिया. इसके साथ ही जब नरेन्द्र मोदी दिसम्बर में रूस दौरे पर थे, तब उन्होंने मेक इन इंडिया कैम्पेन के तहत अब तक कि सबसे बड़ी डील साइन की. मल्टी रोल हेलीकॉप्टर भारत में बनते है, जिसे रूस ने खरीदने का फैसला किया.
मेक इन इंडिया योजना से जुड़ी अन्य बातें –
मेक इन इंडिया योजना ने देश विदेश सभी जगह के निवेशकों के लिए भारत में व्यापार करने के दरवाजे खोल दिए है. बड़ी बड़ी कंपनियां इस मन्त्र को अपना रही है. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जो अब अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की राह पर चल पड़ा है. सरकार ने इस योजना के लिए 25 सेक्टर का चुनाव किया है जो है – ऑटोमोबाइल, बायोटेक्नोलॉजी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फ़ूड प्रोसेसिंग, इम्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, लेदर, माइनिंग, मीडिया व् एंटरटेनमेंट, आयल व् गैस, रेलवे, पोर्ट्स एंड शिपिंग, टेक्सटाइल व् गारमेंट्स, थर्मल पॉवर, टूरिज्म, थर्मल पॉवर, इलेक्ट्रिकल मशीन, रोड व् हाईवे, विमान उद्योग, निर्माण आदि. इसके अलावा रक्षा, स्पेस और भी दुसरे सेक्टर के रास्ते यहाँ निवेश के लिए खुल गए. इसके साथ ही नियामक राजनीती ने निवेशकों व् व्यापार करने वालों को बहुत सी छुट भी दी. आकलन के अनुसार ये पूरी योजना में 20 हजार करोड़ की है, लेकिन शुरुवात में इसके लिए 930 करोड़ का इन्वेस्टमेंट प्लान किया गया है, जिसमे से 580 करोड़ भारत की सरकार दे रही है.
हर देश में व्यापार व् निवेश करने के अलग अलग नियम कानून होते है. 2015 में 189 देशों के बीच वर्ल्ड बैंक द्वारा ‘कहाँ व्यापार करना आसान है’ उस एक रिसर्च की गई, जिसके अनुसार भारत की रैंक 130 नंबर है. मोदी जी इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर ये योजनायें निकालते है, अब देश में व्यापार सम्बंधित बहुत से नियम बदले जा रहे है.
वर्ल्ड बैंक ने भारत में व्यापार के लिए देश के 17 शहरों में सर्वे किया था. जिसके अनुसार लुधियाना, हैदराबाद, भुवनेश्वर, गुडगाँव व् अहमदाबाद टॉप 5 शहर है, जहाँ आसानी से कोई व्यापार किया जा सकता है.
मेक इन इंडिया कैम्पेन
मेक इन इंडिया कैम्पेन को जन जन तक पहुँचाने के लिए, 13 फ़रवरी 2016 को मुंबई में ‘मेड इन इंडिया वीक इवेंट’ मनाया गया था. यहाँ 2500 अन्तराष्ट्रीय व् 8000 राष्ट्रीय कंपनियों ने हिस्सा लिया था, इसके साथ ही 72 देशों के बिजनेस टीम, व् देश के 17 प्रदेशों से भी लोग आये थे.
मेक इन इंडिया की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार से मेक इन महाराष्ट्र कैम्पेन शुरू किया. इसका उद्देश्य मेक इन इंडिया को और आगे बढ़ाना है. इससे महाराष्ट्र में व्यापार के लिए लोग आकर्षित होंगें व्अर्थव्यवस्था सुधरेगी.