Tag: Hindi Poems
साँझ – धुबिनियाँ Sanjh ghubiniya रंग-बिरंगी अपनी गठरी खोल के, साँझधुबिनियाँ नभ के तीर उदास सी, लटका अपने पाँव क्षितिज के घाट पे थक कर बैठ गई ले …
पुत्रवधू से Putravadhu se द्वार खडा हरसिंगार फूल बरसाता है तुम्हारे स्वागत मे, पधारो प्रिय पुत्र- वधू! ममता की भेंट लिए खडी हूँ कब से, सुनने को तुम्हारे …
एक जनम Ek janam मुक्ति नहीं, एक जनम, मगन-मगन,! तन्मय विशेष कुछ न शेष. पूर्ण लीन, मात्र अनुरक्ति हो असीम तृप्ति, सिक्त मन-गगन एक जनम . धरा …
आवारा शब्द Avara shabd प्रेम, प्यार, मोहब्बत, (बड़े भड़कीले हो गये हैं) अब मंच पर मचलते, अदायें दिखाते सडकों पर आवारा घूमते, घरों की छतों, छज्जों खिडकियों से …
कबाड़खाना Kabadkhana हर घर में कुछ कुठरियाँ या कोने होते हैं, जहाँ फ़ालतू कबाड़ इकट्ठा रहता है. मेरे मस्तिष्क के कुछ कोनों में भी ऐसा ही अँगड़-खंगड़ भरा …
प्रश्न Prashan जब अपने से छोटे, और उनसे भी छोटे रुख़सत हो, निकलते चले जाते हैं सामने से एक-एक कर, अपना जीवन अपराध लगता है जब वंचित रह …
कथा एक Katha ek इन भीड़ भरी राहों की गहमा-गहमी में, हर ओर पथिक मिल जाते हैं आगे-पीछे, दो कदम साथ कोई-कोई चल पाता पर, हँस-बोल सभी जा …
पुत्री से Putri se कुमकुम रंजित करतल की छाप अभी भी, इन दीवारों से झाँक रही है घर में, पुत्री तो बिदा हो गई लेकिन उसकी, माया तो …