Tag: Hindi Poems
बुद्धिजीवी Budhi jivi तर्कों के तीरों की कमी नहीं तरकस में, बुद्धि के प्रयोगों की खुली छूट वाले हैं, छोटी सी बात बड़ी दूर तलक खींचते, राई का …
भिक्षां देहि Bhiksha dehi (माँ भारती अपने पुत्रों से भिक्षा माँग रही है- समय का फेर!) रीत रहा शब्द कोश, छीजता भंडार. बाधित स्वर, विकल बोल, जीर्ण वस्त्र …
मैं तुम्हारी प्रार्थना हूँ Me tumhari prarthna hu स्वर मुझे दो, मैं तुम्हारी प्रार्थना हूँ . भाव में डूबे अगम्य अगाध होकर व्याप जाने दो हवाओं की छुअन …
शब्द ही हैं मन्त्र Shabd hi he mantra झील में वे हंस से तिरते शिकारे, अप्सराएँ नाव फूलों से सँवारे! घाटियों में भर कुहासा, कुहुक पढ़तीं एक माया-लोक …
सुनो कबीर! Suno Kabir एक नन्हीं-सी ज्योति! माटी में आँचल में अँकुआता बीज, काल -धारा में बहे जा रहे जीवन को निरंतरता की रज्जु में बाँधता. भंगुर-से तन …
सूरज देर से निकला Suraj der se nikla आज सूरज रोज से कुछ देर से निकला! लो, तुम्हारी हो गई सच बात, सूरज देर से निकला! कुछ लगा …
संदर्भहीन Sandharheen सपनों जैसे नयनों में झलक दिखा जाते कैसे होंगे सरिता तट, वे झाऊ के वन! घासों के नन्हें फूल उगे होंगे तट पर, रेतियाँ कसमसा पग-तल …
चिनार के पत्ते Chinar ke patte उड़ आए तूफ़ानी हवाओं के साथ, ये चिनार के पत्ते! बर्फ़ की सफ़ेद चादर पर जगह -जगह ख़ून के धब्बे! उसी लहू …