Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Shiv Virah”,” शिव-विरह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शिव-विरह Shiv Virah   उमँगता उर पितृ-गृह के नाम से ही! तन पुलकता, मन उमड़ आता! जन्म का नाता! सती, आई हुलसती, तन पहुँचता बाद में उस परम प्रिय …

Hindi Poem of Ibne Insha “Insha ji utho ab kuch karo”,”इंशाजी उठो अब कूच करो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इंशाजी उठो अब कूच करो  Insha ji utho ab kuch karo इंशाजी उठो अब कूच करो, इस शहर में जी का लगाना क्या वहशी को सुकूं से क्या मतलब, …

Hindi Poem of Ibne Insha “Farz karo”,”फ़र्ज़ करो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फ़र्ज़ करो  Farz karo फ़र्ज़ करो हम अहले  वफ़ा हों, फ़र्ज़  करो दीवाने हों फ़र्ज़   करो   ये  दोनों  बातें  झूठी हों अफ़साने हों फ़र्ज़ करो  ये  जी की बिपता, …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bar Bar Aaunga”,” बार-बार आऊँगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बार-बार आऊँगा  Bar Bar Aaunga   वाचक – आह, रक्त की प्यास न जाने, जाग जाग उठती क्यों, जाने क्यों, शैतान उतर कर बार- बार आता है. फिर प्राणों …

Hindi Poem of Ibne Insha “Savan bhado sath hi din he”,”सावन-भादों साठ ही दिन हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सावन-भादों साठ ही दिन हैं  Savan bhado sath hi din he सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Jhelum ka patra”,” झेलम का पत्र” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

झेलम का पत्र  Jhelum ka patra   झेलम ने पत्र लिखा कावेरी को – ‘बहना! सौभाग्यवती चिर रहो, तुम्हें मेरा दुलार, सब बहनों को हिमवान पिता का शुभाशीष! कावेरी …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Mahakal”,” महाकाल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

महाकाल  Mahakal   कवि,महाकाल माँगता नहीं म़दु-मधुर मात्र, सारे स्वादों से युक्त परोसा वह लेगा. भोजक, सब रस वाले व्यंजन प्रस्तुत कर दे अपनी रुचि का वह ग्रास स्वयं …

Hindi Poem of Ibne Insha “Hum unse agar mil bethte he”,”हम उनसे अगर मिल बैठते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम उनसे अगर मिल बैठते हैं  Hum unse agar mil bethte he हम उनसे अगर मिल बैठते हैं क्या दोष हमारा होता है कुछ अपनी जसारत होती है कुछ …