Tag: Hindi Poems
शिव-विरह Shiv Virah उमँगता उर पितृ-गृह के नाम से ही! तन पुलकता, मन उमड़ आता! जन्म का नाता! सती, आई हुलसती, तन पहुँचता बाद में उस परम प्रिय …
इंशाजी उठो अब कूच करो Insha ji utho ab kuch karo इंशाजी उठो अब कूच करो, इस शहर में जी का लगाना क्या वहशी को सुकूं से क्या मतलब, …
फ़र्ज़ करो Farz karo फ़र्ज़ करो हम अहले वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूठी हों अफ़साने हों फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता, …
बार-बार आऊँगा Bar Bar Aaunga वाचक – आह, रक्त की प्यास न जाने, जाग जाग उठती क्यों, जाने क्यों, शैतान उतर कर बार- बार आता है. फिर प्राणों …
सावन-भादों साठ ही दिन हैं Savan bhado sath hi din he सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ …
झेलम का पत्र Jhelum ka patra झेलम ने पत्र लिखा कावेरी को – ‘बहना! सौभाग्यवती चिर रहो, तुम्हें मेरा दुलार, सब बहनों को हिमवान पिता का शुभाशीष! कावेरी …
महाकाल Mahakal कवि,महाकाल माँगता नहीं म़दु-मधुर मात्र, सारे स्वादों से युक्त परोसा वह लेगा. भोजक, सब रस वाले व्यंजन प्रस्तुत कर दे अपनी रुचि का वह ग्रास स्वयं …
हम उनसे अगर मिल बैठते हैं Hum unse agar mil bethte he हम उनसे अगर मिल बैठते हैं क्या दोष हमारा होता है कुछ अपनी जसारत होती है कुछ …