Tag: Hindi Poems
उधार – अज्ञेय Udhar -Agyey सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी। मैनें धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई …
मैंने आहुति बन कर देखा – अज्ञेय Mene Aahuti ban kar dekha – Agyey मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने, मैं कब कहता हूँ …
छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो Chap tilak sab chinhi re – Amir Khusro अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई, जब छबि देखी पी …
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो Pardesi Balam dhan akeli mera bidesi ghar aavana – Amir Khusro परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना। …
मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो Mere Mehboob ke ghar rang hai ri – Amir Khusro आज रंग है ऐ माँ रंग है री, मेरे …
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए -अमीर ख़ुसरो Ae Ri skhi more piya ghar aaye – Amir Khusro ऐ री सखी मोरे पिया घर आए, भाग लगे इस …
बहुत कठिन है डगर पनघट की -अमीर ख़ुसरो Bahut Kathin hai dagar panghat ki – Amir Khusro बहुत कठिन है डगर पनघट की। कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से …
तुम अपनी हो, जग अपना है -भगवतीचरण वर्मा Tum Apni ho, jag apna hai -Bhagwati Charan Verma तुम अपनी हो, जग अपना है किसका किस पर अधिकार प्रिये फिर …