Tag: Hindi Poems
संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान Sankar se sur jahin jape -Raskhan संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं। नेक हिये में जो आवत ही जड़ …
खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान Khetal faag suhag Bhari -Raskhan खेलत फाग सुहाग भरी, अनुरागहिं लालन को धरि कै । भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को …
चल रही उसकी कुदाली – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Chal Rahi Uski Kudali –Shivmangal Singh ‘Suman’ हाथ हैं दोनों सधे-से गीत प्राणों के रूँधे-से और उसकी मूठ में, विश्वास जीवन के …
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Mein Badha hi Ja raha Hu –Shivmangal Singh ‘Suman’ मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ, पर तुम्हें भूला नहीं …
हम पंछी उन्मुक्त गगन के – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Hum Panchi Unmukt Gagan ke –Shivmangal Singh ‘Suman’ हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाऍंगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित …
मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Mera Desh Jal Raha koi Nahi Bujhanevala –Shivmangal Singh ‘Suman’ घर-आंगन में आग लग रही। सुलग रहे वन -उपवन, …
चलना हमारा काम है – शिवमंगल Chalna Hamara Kaam Hai –Shivmangal Singh ‘Suman’ सिंह ‘सुमन’ गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूं दर दर खडा जब आज मेरे …
वरदान माँगूँगा नहीं- शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Vardan Mangunga Nahi –Shivmangal Singh ‘Suman’ यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं। …