Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Kaha Rahegi Chidiya ”, “कहाँ रहेगी चिड़िया” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कहाँ रहेगी चिड़िया -महादेवी वर्मा Kaha Rahegi Chidiya – Mahadevi Verma   कहाँ रहेगी चिड़िया? आंधी आई जोर-शोर से, डाली टूटी है झकोर से, उड़ा घोंसला बेचारी का, किससे …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Mein Priya Pehchani Nahin ”, “मैं प्रिय पहचानी नहीं” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा Mein Priya Pehchani Nahin – Mahadevi Verma   पथ देख बिता दी रैन मैं प्रिय पहचानी नहीं ! तम ने धोया नभ-पंथ सुवासित …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Mein bani Mdhumas Aali ”, “मैं बनी मधुमास आली! ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मैं बनी मधुमास आली! -महादेवी वर्मा Mein bani Mdhumas Aali – Mahadevi Verma   मैं बनी मधुमास आली! आज मधुर विषाद की घिर करुण आई यामिनी, बरस सुधि के …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Mitne ka Adhikar”, “मिटने का अधिकार ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मिटने का अधिकार -महादेवी वर्मा Mitne ka Adhikar – Mahadevi Verma   वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Mera Sajal Mukh Dekh Lete ”, “मेरा सजल मुख देख लेते!” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मेरा सजल मुख देख लेते! -महादेवी वर्मा Mera Sajal Mukh Dekh Lete – Mahadevi Verma   मेरा सजल मुख देख लेते! यह करुण मुख देख लेते! सेतु शूलों का …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Kon Tum Mere Hriday Mein ”, “कौन तुम मेरे हृदय में ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा Kon Tum Mere Hriday Mein – Mahadevi Verma   कौन मेरी कसक में नित, मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में, घुमड़ …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Deepak Par Patang ”, “दीपक पर पतंग ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दीपक पर पतंग -महादेवी वर्मा Deepak Par Patang – Mahadevi Verma   दीपक में पतंग जलता क्यों? प्रिय की आभा में जीता फिर दूरी का अभिनय करता क्यों पागल …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Jaag-Jaag Sukeshni Ri ”, “जाग-जाग सुकेशिनी री! ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जाग-जाग सुकेशिनी री! -महादेवी वर्मा Jaag-Jaag Sukeshni Ri – Mahadevi Verma   जाग-जाग सुकेशिनी री! अनिल ने आ मृदुल हौले शिथिल वेणी-बन्धन खोले पर न तेरे पलक डोले बिखरती …