Tag: Hindi Poems
अमर स्पर्श -सुमित्रानंदन पंत Amar Sparsh – Sumitranand Pant खिल उठा हृदय, पा स्पर्श तुम्हारा अमृत अभय! खुल गए साधना के बंधन, संगीत बना, उर का रोदन, अब प्रीति …
गंगा -सुमित्रानंदन पंत Ganga – Sumitranand Pant अब आधा जल निश्चल, पीला,– आधा जल चंचल औ’, नीला– गीले तन पर मृदु संध्यातप सिमटा रेशम पट सा ढीला। ऐसे सोने …
द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र -सुमित्रानंदन पंत Drut Jharo Jagat ke Jirn Patra – Sumitranand Pant द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र! हे स्रस्त-ध्वस्त! हे शुष्क-शीर्ण! हिम-ताप-पीत, मधुवात-भीत, …
आजाद -सुमित्रानंदन पंत Aajad – Sumitranand Pant पैगम्बर के एक शिष्य ने पूछा, ‘हजरत बंदे को शक है आज़ाद कहां तक इंसा दुनिया में, पाबंद कहां तक?’ ‘खड़े रहो!’ …
तप रे! -सुमित्रानंदन पंत Tap Re – Sumitranand Pant तप रे, मधुर मन! विश्व-वेदना में तप प्रतिपल, जग-जीवन की ज्वाला में गल, बन अकलुष, उज्ज्वल और कोमल तप रे, …
काले बादल -सुमित्रानंदन पंत Kale Badal – Sumitranand Pant सुनता हूँ, मैंने भी देखा, काले बादल में रहती चाँदी की रेखा! काले बादल जाति द्वेष के, काले बादल विश्व …
जग के उर्वर आँगन में -सुमित्रानंदन पंत Jag ke urvark aangan mein – Sumitranand Pant जग के उर्वर – आँगन में बरसो ज्योतिर्मय जीवन! बरसो लघु – लघु तृण, …
गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत Geet Vihag – Sumitranand Pant ये गीत विहग उड़-उड़ जाते ! भावों के पंख लगे सुन्दर, सपनों से रच संसार सुघर, भरते उड़ान नभ को …