Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Chandni ”, “चाँदनी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत Chandni -Sumitranand Pant नीले नभ के शतदल पर वह बैठी शरद-हंसिनि, मृदु-करतल पर शशि-मुख धर, नीरव, अनिमिष, एकाकिनि! वह स्वप्न-जड़ित नत-चितवन छू लेती अंग-जग का मन, …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Machue ka Geet ”, “मछुए का गीत” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मछुए का गीत -सुमित्रानंदन पंत Machue ka Geet – Sumitranand Pant प्रेम की बंसी लगी न प्राण! तू इस जीवन के पट भीतर कौन छिपी मोहित निज छवि पर? …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Mein Sabse choti houn ”, “मैं सबसे छोटी होऊँ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मैं सबसे छोटी होऊँ -सुमित्रानंदन पंत Mein Sabse choti houn – Sumitranand Pant मैं सबसे छोटी होऊँ, तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ! तेरे साथ, …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Yah Dharti Kitni Deti Hai ”, “यह धरती कितना देती है” Complete Poem for Class 10 and Class 12

यह धरती कितना देती है -सुमित्रानंदन पंत Yah Dharti Kitni Deti Hai – Sumitranand Pant मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Lahron ka Geet ”, “लहरों का गीत ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

लहरों का गीत -सुमित्रानंदन पंत Lahron ka Geet – Sumitranand Pant अपने ही सुख से चिर चंचल हम खिल खिल पडती हैं प्रतिपल, जीवन के फेनिल मोती को ले …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Vijay ”, “विजय” Complete Poem for Class 10 and Class 12

विजय -सुमित्रानंदन पंत Vijay – Sumitranand Pant मैं चिर श्रद्धा लेकर आई वह साध बनी प्रिय परिचय में, मैं भक्ति हृदय में भर लाई, वह प्रीति बनी उर परिणय …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Parvat Pradesh mein Pavas”, “पर्वत प्रदेश में पावस ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

पर्वत प्रदेश में पावस -सुमित्रानंदन पंत Parvat Pradesh mein Pavas – Sumitranand Pant पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। मेखलाकर पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग-सुमन फाड़, अवलोक …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Do Ladke ”, “दो लड़के ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दो लड़के -सुमित्रानंदन पंत Do Ladke – Sumitranand Pant मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) दो छोटे-से लड़के आ जाते है अकसर! नंगे तन, गदबदे, साँवले, सहज …