Tag: Hindi Poems
अपने अपने डेरे Apne apne dere हैरान थी हिन्दी। उतनी ही सकुचाई लजायी सहमी सहमी सी खड़ी थी साहब के कमरे के बाहर इज़ाजत माँगती माँगती दुआ पी.ए. साहब …
अजीब बात Ajeeb baat जगहें खत्म हो जाती हैं जब हमारी वहॉं जाने की इच्छाएं खत्म हो जाती हैं लेकिन जिनकी इच्छाएं खत्म हो जाती हैं वे ऐसी …
दरार Darar ख़त्म हुआ ईंटों के जोड़ों का तनाव प्लास्टर पर उभर आई हल्की-सी मुस्कान दौड़ी-दौड़ी चीटियाँ ले आईं अपना अन्न-जल फूटने लगे अंकुर जहाँ था तनाव वहाँ …
कुछ नहीं कहते Kuch nahi kahte मैंने कहा मज़ाक बन गया है देश। उसने कहा तो तैयार हो जाओ जेल के लिए मैंने कहा मज़ाक बना दिया गया है …
पीछे छूटी हुई चीज़ें Piche chuti hui chije बिजलियों को अपनी चमक दिउखाने की इतनी जल्दी मचती थी कि अपनी आवाज़ें पीछे छोड़ आती थीं आवाज़ें आती थीं …
मेरे भी हाथों में Mere bhi hatho me मैं अंगूठा छाप होश तक नहीं जिसे बढ़े हुए नाखूनों का पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहा है जो शरण में आपकी… …
किसने कहा होगा? Kisne kaha hoga तुम मुझे खून मत दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। ऐसा न सुभाष ने कहा न गाँधी ने। तब किसने कहा होगा? मारा मारा …
तुम वही मन हो कि कोई दूसरे हो Tum vahi man ho ki koi dusre ho कल तुम्हें सुनसान अच्छा लग रहा था आज भीड़ें भा रही हैं …