Tag: Hindi Poems
धूप Dhoop सर्दियों की सुबह, उठ कर देखता हूँ धूप गोया शहर के सारे घरों को जोड़ देती है ग़ौर से देखें अगरचे धूप ऊँचे घरों के साये …
जीवन Jeevan (एक) कहाँ है जीवनदायिनी वह कूची चितेरे की श्लोकों के मौन संगीत में देखो तो लौट रहीं टहनियाँ हरी हरी लौट रहा काफिला ठूँठों का वृक्षों की …
मुर्दे Murde मरने के बाद शुरू होता है मुर्दों का अमर जीवन दोस्त आएँ या दुश्मन वे ठंडे पड़े रहते हैं लेकिन अगर आपने देर कर दी तो …
हमारा कबूतर Hamara kabutar रह तो बहुत दिनों से रहा है कबूतर शॉफ़्ट के एक कोने में हमारे घर की । और उसका परिवार भी जब-तब फड़फड़ा लेता है …
मेरा मन Mera man मेरा चंचल मन भी कैसा, पल में खिलता, मुरझा जाता! जब सुखी हुआ सुख से विह्वल, जब दु:खी हुआ दु:ख से बेकल, वह हरसिंगार …
सबक Sabak कितनी साफ़ नज़र आती हैं हमारे आगे और पीछे कितनी कितनी राहें हमारे बचपन में जबकि हमारे पाँव और कदम बहुत नन्हें और अबोध होते हैं। तब …
युग और मैं Yug aur me उजड़ रहीं अनगिनत बस्तियाँ, मन, मेरी ही बस्ती क्या! धब्बों से मिट रहे देश जब, तो मेरी ही हस्ती क्या! बरस रहे …
सूरज डूब गया बल्ली भर Suraj dub gya balli bhar सूरज डूब गया बल्ली भर सागर के अथाह जल में। एक बाँस भर उठ आया है चांद, ताड …